भारतीय सिनेमा में नौशाद अली का नाम बड़े अदब से लिया जाता है. ऐसा कहा जाता है कि उनके गानों ने भारतीय सिनेमा को एक अलग पहचान दी. उनके गाने को आज भी देश के साथ-साथ विदेशों में भी खूब पसंद किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि भारतीय संगीत को नौशाद अली ने अपनी आवाज देकर इतिहास के पन्नों में अंकित कर दिया. उन्होंने शास्त्रीय संगीत के माध्यम से लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाई.


तमाम सुपरहिट गाने देकर नौशाद अली ने दुनिया को भारतीय सिनेमा और भारतीय संगीत से अवगत कराया. चर्चित फिल्म मुग़ल-ए-आजम और प्यार किया तो डरना क्या में जबरदस्त गानों की प्रस्तुति देकर नौशाद अली हमेशा के लिए अमर हो गए. उन्होंने कई नमी फिल्मों में काम किया, जिसे लोग आज भी बहुत पसंद करते हैं.


शुरुआती सफर उतना अच्छा नहीं रहा


नौशाद अली का शुरुआती सफर उतना अच्छा नहीं रहा. वे एक गरीब परिवार से आते थे. एक समय वह हारमोनियम ठीक करने का काम करते थे. उनके पिता संगीत के खिलाफ थे. वे हमेशा नौशाद को संगीत से दूर रहने की नसीहत देते थे. हालांकि, नौशाद को ये पसंद नहीं आता है. एक दिन आया जब उन्होंने अपना घर छोड़ दिया और मुंबई आ गए.


दादा साहब फाल्के अवार्ड से हुए सम्मानित


मुंबई आकर उन्होंने कई रातें सड़कों पर बिताई लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. साल 1940 में उन्होंने अपना करियर फिल्म प्रेम नगर से शुरू किया. इसके बाद साल 1942 में आई फिल्म शारदा ने उन्हें अलग पहचान दिलाई. बताया जाता है कि इस फिल्म के हिट होने के बाद से उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. संगीतकार नौशाद अली ने मोहम्मद रफ़ी और लता मंगेशकर जैसे उम्दा कलाकारों को भी मौका दिया. गौरतलब है कि साल 1981 में उन्हें दादा साहब फाल्के अवार्ड से भी नवाजा गया था.