Naushad Siddiqui: साल 2021 में पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव हुए तो उस चुनाव में इंडियन सेक्युलर फ्रंट यानि ISF भी मैदान में थी. इस पार्टी का गठन पीरजादा मोहम्मद अब्बास सिद्दीकी ने विधानसभा चुनावों से कुछ समय पहले ही किया था. इसमें उन्होंने 28 साल के अपने भाई नौशाद सिद्दीकी को भी शामिल किया और दक्षिण 24 परगना जिले की भांगर सीट से टिकट दिया. नौशाद सिद्दीकी वहां से विधायक चुने गए.
हुगली जिले के श्रीरामपुर के अंतर्गत आने वाले फुरफुरा शरीफ मजार अजमेर शरीफ की दरगाह के बाद सबसे पवित्र जगहों में से एक मानी जाती है. इसी मजार के पीरजादा नौशाद सिद्दीकी हैं. इस सूफी दरगाह के अनुयायी पश्चिम बंगाल के अलावा असम, त्रिपुरा और यहां तक कि बांग्लादेश में भी हैं. नौशाद के परिवार के लिए राजनीति कोई नई बात नहीं रही, इससे पहले इंडियन मुस्लिम लीग के गठन में इस परिवार ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. हालांकि, कुछ समय बाद राजनीतिक रूप से पीछे हट गए थे.
नौशाद के परिवार से जुड़ी रही राजनीति
अब्बास और नौशाद से पहले, उनके चाचा पीरजादा तोहा सिद्दीकी भी राजनीति में हाथ आजमा चुके थे. उन्होंने राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी टीएमसी के साथ गहरे संबंध बनाए. इसके बाद इन दोनों भाइयों ने आईएसएफ का गठन किया और एक ऐसी पार्टी के रूप में लॉन्च किया जो टीएमसी और बीजेपी का विरोध करेगी, जमीनी स्तर पर गरीब मुसलमानों, दलितों और आदिवासियों की लड़ाई लड़ने की बात कहती है. बाद में विधानसभा चुनावों के लिए आईएसएफ ने वाममोर्चा और कांग्रेस के साथ गठबंधन कर लिया.
पार्टी गठन के बाद बीजेपी की खिलाफत
चुनाव से पहले गठबंधन के लिए आईएसएफ ने कहा था कि हमारा मकसद बीजेपी को रोकना है, हमारी पार्टी गैर-बीजेपी दलों के साथ चुनाव से पहले और बाद में किसी भी गठबंधन के लिए तैयार है. वहीं, टीएमसी के लिए आईएसएफ ने कहा था कि बंगाल के मुस्लिम समुदाय की उपेक्षा करने के लिए पार्टी को पहले माफी मांगनी होगी. इसके अलावा कहा था कि जिन निर्वाचन क्षेत्रों में आईएसएफ के उम्मीदवार नहीं होंगे, वहां पर पार्टी बीजेपी के खिलाफ वाले उम्मीदवार का समर्थन करेगी.
विधानसभा चुनाव में टांय-टांय फिस्स
विधानसभा चुनाव में जोर-शोर से उतरी इंडियन सेक्युलर फ्रंट पार्टी नतीजे आते ही टांय-टांय फिस्स हो गई. इन चुनावों में पार्टी ने कोई प्रभाव नहीं छोड़ा. ज्यादातर वोट ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी को पड़े. यहां तक कि उन जिलों में आईएसएफ पार्टी कोई प्रभाव नहीं छोड़ पाई जिन जिलों में पीरजादा का दबदबा था. राहत की बात ये रही कि जिस भांगर सीट से पीरजादा नौशाद सिद्दीकी ने चुनाव लड़ा था वही एक सीट इस पार्टी को मिल पाई. इसके लिए भी टीएमसी से जद्दोजहद करनी पड़ी.
नौशाद सिद्दीकी पहुंचे जेल
विधायक बनने के बाद नौशाद सिद्दीकी ने विधानसभा में एक्टिव भूमिका निभाई और राजनीतिक मुद्दों पर बोल्ड पोजिशन को बरकरार रखा. नौशाद सिद्दीकी अपनी पार्टी के 17 कार्यकर्ताओं के साथ अभी पुलिस हिरासत में हैं. उन्हें 21 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था. दरअसल, नौशाद अपनी पार्टी आईएसएफ की जयंती के मौके पर भांगर में एक रैली को संबोधित कर रहे थे, उसी वक्त कथित तौर पर टीएमसी कार्यकर्ताओं ने उन पर और उनकी पार्टी के कार्यालय पर हमला कर दिया. जब नौशाद ने इसे रोकने की कोशिश की तो इन कार्यकर्ताओं ने नौशाद पर भी हमला कर दिया. अब इसके विरोध में नौशाद ने राजधानी कोलकाता के एस्प्लेनेड चौराहे तक एक मार्च निकाला जहां उनको पुलिस ने हिरासत में ले लिया.
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