Rajya Sabha: इस बार ओडिशा में विधानसभा और लोकसभा का चुनाव एक हुआ है. इस चुनाव में जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने राज्य की सत्ता से बीजू जनता दल (बीजेडी) को बाहर कर दिया. चुनाव से पहले यह कयास लगाए जा रहे थे कि ओडिशा में बीजेपी और बीजेडी के बीच गठबंधन हो सकता है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. ओडिशा में भले ही बीजेपी ने पहली बार सत्ता में आई हो, लेकिन राज्यसभा में हमेशा नवीन पटनायक की बीजेडी उनके लिए संकटमोचक बनकर साथ देती रही है.


राज्यसभा में बीजेडी हमेशा बीजेपी के साथ रही है


लोकसभा में जब-जब विपक्षी पार्टियों की ओर से अविश्वास प्रस्ताव लाया गया, तब-तब बीजेडी ने बीजेपी का साथ दिया. नवीन पटनायक की बीजेपी आर्टिकल-370 को निरस्त करने वाले विधेयक, तीन तालाक को गैरकानूनी बनाने वाले विधेयक और नागरिकता संशोधन विधेयक (CAA) सहित कई अहम मौकों पर बीजेपी के साथ खड़ी रही है, लेकिन मौजूदा राजनीतिक हालातों को देखकर यह लग रहा है कि बीजेडी अब बीजेपी से छिटक रही है.


सदन में बीजेडी नेताओं ने किया वॉक आउट


3 जुलाई को राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण का इंडिया गठबंधन की पार्टियों ने वॉक आउट किया. इंडिया गठबंदन के साथ उस वॉक आउट में बीजेडी भी शामिल थी. 


लोकसभा में 2014 से 2024 तक बीजेपी अपने दम पर बिल पास करवा लेती थी, क्योंकि उसके पास बहुमत का आंकड़ा था. राज्यसभा में जब बीजेपी के पास बहुमत नहीं थी तो बीजेडी और वाईएसआरसीपी उनके साथ खड़े रहते थे. राष्ट्रपति के अभिभाषण पर पीएम मोदी जब जवाब दे रहे थे उस समय बीजेडी के सांसद विपक्षी नेताओं के साथ खड़े होकर हंगामा कर रहे थे.


पीएम मोदी के भाषण के दौरान बीजेडी नेता सस्मित पात्रा की आगुआई में उनके सांसदों ने नारे लगाए और संसद से वॉक आउट किया. इससे पहले 28 जून 2024 को सदन में इंडिया गठबंधन के नेताओं ने नीट मामले को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा था, जिसमें बीजेडी के नेता भी शामिल थे.


अब बीजेपी के विरोध में खड़ी बीजेडी


ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेडी चीफ नवीन पटनायक ने अपनी पार्टी के राज्यसभा सांसदों के साथ मीटिंग की थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि उनकी पार्टी ओडिशा की हितों की रक्षा करने के लिए हम संभव प्रयास करेगी. उन्होंने साफ-साफ कहा था कि अब बीजेपी का समर्थन नहीं करेंगे, बल्कि सिर्फ विरोध करेंगे. फिलहाल राज्यसभा में बीजेडी के 9 सदस्य हैं. वहीं बीजेपी के पास अभी भी राज्यसभा में अपने दम पर बहुमत नहीं है.


राज्यसभा में अभी कुल 245 सांसद हैं. ऐसे में यहां किसी विधेयक को पास कराने के लिए सरकार को 123 सांसदों के समर्थन की जरूरत होती है. बीजेपी की अगुआई वाली एनडीए के पास राज्सभा में 114 सांसद ही हैं. उन्हें किसी बिल को पास करान के लिए 11 और सांसदों की जरूरत पड़ेगी. 


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