नई दिल्ली: नवीन पटनायक राजनीति में एक ऐसा नाम हैं जो किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. पिछले लगभग दो दशकों से ओडिशा के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज नवीन पटनायक के सामने केंद्र में कई दलों की सत्ता आई और गई लेकिन वह अपने राज्य की जनता का विश्वास जीतने में हमेशा कामयाब रहे. आज उन्होंने रिकॉर्ड लगातार पांचवी बार सूबे की मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है.


इस कार्यकाल को पूरा करने के बाद वह देश में सबसे अधिक समय तक मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड बना लेंगे. फिलहाल ये रिकॉर्ड 24 साल तक सिक्किम के मुख्यमंत्री रहे पवन चामलिंग के नाम है. पटनायक से पहले मात्र दो मुख्यमंत्री पश्चिम बंगाल में ज्योति बसु और सिक्किम में पवन कुमार चामलिंग ही पांच बार मुख्यमंत्री रहे हैं. पटनायक पहली बार साल 2000 में मुख्यमंत्री बने थे और वह ओडिशा में सबसे लंबे समय से मुख्यमंत्री हैं.


कौन हैं नवीन पटनायक


नवीन पटनायक का जन्‍म 16 अक्‍टूबर 1946 को कटक में हुआ. उन्‍होंने दिल्‍ली के किरोडीमल कॉलेज से स्‍नातक की डिग्री हासिल की है. वे जनता दल के संस्‍थापक और जानेमाने नेता बीजू पटनायक के पुत्र हैं.. नवीन पटनायक की प्रारंभिक शिक्षा देहरादून के वेलहाम प्रिपरेटरी स्कूल फॉर बॉयज और उसके बाद की शिक्षा दून स्कूल में हुई है.स्कूल के दिनों में वे इतिहास के अच्छे छात्र थे. उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से 20 साल की उम्र में स्नातक किया. आगे चलकर उन्होंने 'अ सेकेंड पैराडाइज', 'अ डेजर्ट किंगडम', 'द गार्डन ऑफ लाइफ' नामक पुस्तक भी लिखी है.


राजनीतिक करियर


नवीन पटनायक साल 1996 में अपने पिता की मत्यु के बाद सक्रिय राजनीति में आए. वह 11वीं लोकसभा में अस्का लोकसभा सीट से उपचुनाव जीते. यह उनके पिता की पारंपरिक सीट थी. इसके बाद उन्होंने बीजू जनता दल का गठन किया और NDA में शामिल हो गए. पटनायक दूसरी बार लोकसभा के लिए 1998 में और तीसरी बार 1999 में चुने गए और केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्रिमंडल का हिस्सा भी रहे.


विधानसभा चुनावों की बात करें तो वह 2000, 2004 और 2009, 2014 और 2019 में उनकी पार्टी बीजेडी लगातार पांच बार राज्य के विधानसभा चुनावों में जीती. पहली बार वह साल 2000 में मुख्यमंत्री बने थे. उस वक्त उनकी पार्टी NDA का हिस्सा थी. 2007-2008 में हुए ईसाई विरोधी दंगों के चलते बीजू जनता दल को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा और इसके चलते पटनायक ने एनडीए सरकार से अपने गठबंधन को समाप्‍त कर दिया.


'मोदी लहर' हो या मोदी सुनामी ओडिशा की जनता की पहली पसंद रहे पटनायक


'मोदी लहर' पर सवार बीजेपी ने जहां लोकसभा चुनावों में अप्रत्याशित जीत दर्ज करते हुए सत्ता में दुबारा वापसी की है. वहीं एक मुख्यमंत्री ऐसा भी है, जिसने 'तूफानों' का सामना करते हुए पीएम से भी अधिक दमदार तरीके से जीत दर्ज की है. यह उनका करिश्मा ही है कि बीजेपी के विजय रथ को ओडिशा में रोक दिया. इस बार राज्य में लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव हुए थे. जहां पूरे देश में मोदी नीत बीजेपी ने एतिहासिक 303 सीटों पर जीत दर्ज की तो वहीं ओडिशा में हालात अलग रहे.


यहां हुए 146 विधानसभा सीटों में से बीजेडी को 112 सीटें जीती और बीजेपी के खाते में महज 23 सीटे आईं. वहीं कांग्रेस को 9 सीटें आई. वहीं लोकसभा सीटों की बात करें तो राज्य की कुल 21 में से बीजेडी ने 12, जबकि बीजेपी ने 8 सीटें जीती. कांग्रेस के खाते में एक सीट ही गई.


इससे पहले साल 2014 में मोदी लहर में बीजेडी ने बड़ी जीत दर्ज की थी. साल 2014 में जब देश में मोदी लहर थी तो उस वक्त भी नवीन पटनायक का पार्टी ने राज्य की 21 लोकसभा सीटों में से 20 पर जीत दर्ज की थी. वहीं 147 में से 117 विधानसभा सीटें भी जीती थी.


ओडिशा के लोगों के दिलों में पटनायक की खास जगह है. एक रूपये किलो चावल और पांच रूपये में खाने की उनकी योजनायें बेहद लोकप्रिय रहीं. उन्होंने 2019 के विधानसभा चुनाव से पहले महिलाओं के लिये 33 प्रतिशत आरक्षण का समर्थन किया और उसे लागू भी किया.बीजेपी और कांग्रेस दोनों से दूरी बनाये रखते हुए पटनायक ने संकेत दिया कि ओडिशा के हितों की रक्षा करने वाले किसी भी गठबंधन का समर्थन करने को वह तैयार हैं.


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