चंडीगढ़: केंद्र सरकार के कृषि कानून के खिलाफ पंजाब की कैप्टन सरकार बिल पेश करने वाली है. इसके लिए दो दिन का विशेष सत्र बुलाया गया है, जिसका आज दूसरा दिन है. विपक्षी अकाली दल और आम आदमी पार्टी कांग्रेस का विरोध कर रहे हैं. इसके साथ ही विरोध की आवाज अब कांग्रेस पार्टी के भीतर से भी आने लगी है.


कांग्रेस के दिग्गज नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने सोमवार को अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. सिद्धू ने फसल खरीदी के मॉडल, भंडारण क्षमता और बाजार की क्षमताओं को लेकर कैप्टन सरकार पर चढाई कर दी.


सिद्धू ने कहा, ''आज, पंजाब में गेहूं और चावल के अलावा किसी अन्य फसल के लिए सरकारी खरीद मॉडल नहीं है. न तो हमारे पास भंडारण क्षमता है और न ही विपणन क्षमता. आज, केंद्र सरकार के खाद्यान्न गोदाम खाली हैं. वे इस साल हमारा चावल खरीदेंगे, अगले साल हमारा गेहूं. फिर उसके बाद क्या? तैयारी के लिए हमारे पास सिर्फ एक से तीन साल हैं.'' सिद्धू ने यह बात अपने यूट्यूब चैनल पर कही.


बता दें कि यह दूसरा मौका है जब सिद्धू कृषि नीतियों को लेकर अपनी ही सरकार खिलाफ बोले हैं. इससे पहले चार अक्टूबर को कांग्रेस पार्टी के विरोध प्रदर्शन में भी उन्होंने ऐसी ही आलोचना की थी. इस कार्यक्रम में कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी मौजूद थे. सिद्धू ने कहा था, "अगर हिमाचल प्रदेश सेब खरीद सकता है तो हम फसलों की खरीद क्यों नहीं कर सकते, हम उन्हें एमएसपी क्यों नहीं दे सकते?''


और क्या बोले नवजोत सिंह सिद्धू?
सिद्धू ने पंजाब की कृषि नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा, ''अगर पंजाब की कृषि के साथ सब ठीक है और एकमात्र समस्या तीन नए कानून हैं, तो पिछले कुछ दशकों में पंजाब के हजारों किसानों ने आत्महत्या क्यों की है? आज, MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) से बड़ा प्रश्न सरकारी खरीद की गारंटी है. जब पंजाब के अलावा अन्य राज्यों में सस्ता चावल और गेहूं उपलब्ध होगा, तो कोई पूंजीपति हमारी उपज को खरीदने के लिए यहां क्यों आएंगा?''


उन्होंने आगे कहा, ''अब सवाल यह है कि राज्य सरकार क्या करेगी? पंजाब के लोग हमारी ओर देख रहे हैं. हम अपनी पीठ नहीं दिखा सकते. चुनाव से छह महीने पहले इस्तीफा देने से कुछ नहीं होगा जब पंजाब के खाद्यान के लिए कोई खरीदार नहीं होगा. हमें एमएसपी देना चाहिए और दाल, तिलहन, सब्जियों और फलों की सरकारी खरीद करनी चाहिए, ताकि पंजाब के तीन करोड़ लोगों की पोषण संबंधी मांगों को पूरा करके किसान विविधता और शुरुआत कर सकें.''




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