नवजोत सिंह सिद्धू को मिल सकती है नई जिम्मेदारी, दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष की रेस में सबसे आगे
पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू का मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ लंबे समय से कोल्ड वॉर चल रहा है. माना जा रहा है कि सिद्धू को पंजाब से दिलली शिफ्ट करने का फैसला इसी के मद्देनजर लिया जा सकता है.
नई दिल्ली: दिल्ली में लंबे समय से नेतृत्व के संकट से जूझ रही कांग्रेस बड़ा कदम उठा सकती है. पार्टी नवजोत सिंह सिद्धू को दिल्ली प्रदेश संगठन की कमान सौंप सकती है. सिद्धू को बेहद जल्द यह जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है, अभी फैसले पर कोई औपचारिक ऐलान नहीं हुआ है लेकिन इस रेस में सिद्धू सबसे मजबूत उम्मीदवार माने जा रहे हैं. पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू का मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ लंबे समय से कोल्ड वॉर चल रहा है. माना जा रहा है कि सिद्धू को पंजाब से दिलली शिफ्ट करने का फैसला इसी के मद्देनजर लिया जा सकता है.
दरअसल लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद कैप्टन ने स्थानीय सरकार और पर्यटन एवं संस्कृति मामलों का विभाग ले लिया था और उन्हें बिजली तथा नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग दे दिया था. सिद्धू ने लंबे समय तक नए विभाग का पदभार नहीं संभाला. इसके बाद उन्होंने मंत्री कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया. कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस्तीफे को स्वीकार करते हुए राज्यपाल के पास भेज दिया. जिस दिन इस्तीफा स्वीकार हुआ उसी दिन सिद्धू ने चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री आवास के बगल में मिला सरकारी बंगला खाली कर दिया.
सिद्धू ने कहा था कि उनके विभाग को सार्वजनिक तौर पर निशाना बनाया गया. उन्होंने कहा था कि उन्हें हल्के में नहीं लिया जा सकता क्योंकि उन्होंने हमेशा अच्छा प्रदर्शन किया है. साल 2017 में पंजाब विधानसभा चुनाव से कुछ दिन पहले कांग्रेस में शामिल हुए पूर्व बीजेपी नेता सिद्धू का पिछले कुछ समय से अमरिंदर से टकराव चल रहा है.
लोकसभा चुनाव के दौरान अमरिंदर ने 17 मई को बठिंडा में प्रचार करते हुए सिद्धू के ‘‘फ्रैंडली मैच’’ वाली टिप्पणी पर काफी गुस्सा जताया था. सिद्धू ने धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी के मुद्दे पर राज्य में कांग्रेस सरकार को कथित तौर पर घेरते हुए सवाल उठाया था कि बादल परिवार के खिलाफ कोई प्राथमिकी दर्ज क्यों नहीं हुई. इस पर अमरिंदर ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी. सिद्धू पर निशाना साधते हुए मुख्यमंत्री ने कहा था, ‘‘अगर वह सच्चे कांग्रेसी हैं तो उन्हें अपनी शिकायतें बताने के लिए पंजाब में मतदान से महज कुछ समय पहले के बजाय उपयुक्त समय चुनना चाहिए था.’’