Punjab Congress News: पंजाब विधानसभा चुनाव से छह महीने पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष बना कर बड़ा दांव खेला है. कैप्टन अमरिंदर सिंह की नाराजगी के बावजूद सिद्धू को संगठन की कमान दे कर कांग्रेस ने कैप्टन की एंटी इनकंबेंसी की काट कांग्रेस ने तैयार की है. सामाजिक और क्षेत्रीय समीकरण को ध्यान में रख कर सिद्धू के साथ चार कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाए गए हैं. सिद्धू को कमान दिए जाने के राजनीतिक मायने पंजाब तक ही सीमित नहीं है. अगर वो कामयाब हुए तो इसी फार्मूले पर कांग्रेस में कुछ और बड़े बदलाव हो सकते हैं. पंजाब के घटनाक्रम से कांग्रेस में प्रियंका गांधी का सिक्का और मजबूत हुआ है.
पंजाब कांग्रेस में कैप्टन युग का समापन!
कांग्रेस में कैप्टन अमरिंदर सिंह इकलौते ऐसे नेता माने जाते थे जिन्होंने हमेशा अपनी शर्त मनाने के लिए पार्टी हाईकमान को मजबूर किया लेकिन इस बार उनकी एक न चली. राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की कांग्रेस में कैप्टन की नाराजगी को नजरअंदाज कर सिद्धू को पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष बना दिया गया. जबकि सिद्धू केवल साढ़े चार साल पहले बीजेपी से कांग्रेस में आए और बीते दिनों में उन्होंने कैप्टन पर जम कर हमला भी बोला. पंजाब की राजनीति में संदेश साफ है कि बड़ा उलटफेर नहीं हुआ तो पंजाब कांग्रेस में कैप्टन का युग समापन की तरफ है और सिद्धू युग की शुरुआत हो चुकी है.
एक बार प्रियंका गांधी ने कमिटमेंट कर दी तो फिर…
सिद्धू के पीछे प्रियंका गांधी की ताकत है. बीते पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले सिद्धू को कांग्रेस में प्रियंका गांधी ही लेकर आई थीं. माना जाता है कि तब उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाने का भरोसा दिया गया जो बाद में पूरा नहीं हो सका. लेकिन जैसे ही प्रियंका गांधी को मौका मिला वो पूरी मजबूती के साथ सिद्धू के साथ खड़ी हुई और उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनवा कर ही मानी.
वैसे तो कांग्रेस में प्रियंका गांधी की अहमियत सबको पता है लेकिन हाल के घटनाक्रम से संदेश यह गया है कि अपना वादा निभाने के लिए प्रियंका गांधी किसी भी हद तक जा सकती हैं. अगर सिद्धू कामयाब हुए तो कुछ और राज्यों के कांग्रेस संगठन में भी इस फार्मूले पर उठापटक देखने को मिल सकता है.
पंजाब कांग्रेस की कमान सिद्धू के लिए कांटों भरा ताज
क्रिकेट, टीवी और अपने भाषणों से सिद्धू पंजाब ही नहीं देशभर में लोकप्रिय हैं. पंजाब में उनकी छवि एक स्वच्छ और ईमानदार नेता की है. उनकी सबसे बड़ी ताकत यह है कि उन्हें बादल के खिलाफ लड़ने वाला सबसे मजबूत नेता माना जाता है.
लेकिन सिद्धू की कुछ कमजोरियां भी हैं. उनके पास संगठन चलाने का अनुभव नहीं है. अपनी राजनीतिक टीम नहीं है और जुबान फिसलने का खतरा तो हमेशा रहता ही है. जाहिर है पंजाब कांग्रेस की कमान सिद्धू के लिए बड़ा अवसर तो है लेकिन यह कांटों भरा ताज भी है. अगले छह महीने उनकी राहें आसान कतई नहीं रहने वाली.
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