नई दिल्लीः नवजोत सिंह सिद्धू के दिल्ली दौरे के दूसरे दिन सुबह प्रियंका गांधी और शाम राहुल गांधी से उनकी मुलाकात हो गई. राहुल गांधी के साथ सिद्धू की बैठक एक घंटे से ज्यादा चली और इस दौरान प्रियंका गांधी भी मौजूद रहीं. इन बैठकों में सिद्धू को क्या आश्वासन दिया गया यह साफ नहीं है लेकिन राहुल-प्रियंका से मिलकर जहां एक तरफ सिद्धू ने अपनी अहमियत का संदेश दे दिया. वहीं इस बैठक का यह मतलब भी है कि पंजाब कांग्रेस का मौजूदा विवाद यानी कैप्टन बनाम सिद्धू विवाद का समाधान नजदीक है.


सूत्रों की मानें तो राहुल से मुलाकात का मतलब यही है कि सिद्धू सुलह के लिए राजी हो गए हैं और आलाकमान का प्रस्ताव उन्हें मंजूर है. हालांकि वह प्रस्ताव क्या है इसपर सस्पेंस बना हुआ है. सस्पेंस इस बात को लेकर भी है कि क्या कैप्टन अमरिंदर सिंह इस प्रस्ताव को लेकर राजी हैं? सिद्धू को उनके मन मुताबिक प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी मिलना मुश्किल है तो वहीं सिद्धू सरकार में शामिल होना नहीं चाहते. ऐसे में चुनाव की कैम्पेन कमिटी की कमान उन्हें मिल सकती है. 


पंजाब कांग्रेस विवाद को सुलझाने के लिए दिन भर प्रियंका गांधी एक्शन में नजर आईं. उन्होंने पहले सिद्धू से मुलाकात कर राहुल और सिद्धू के बीच संदेशवाहक का काम किया और फिर राहुल को सिद्धू के साथ बैठक के लिए राजी किया. दिन भर प्रियंका कभी मां सोनिया तो कभी भाई राहुल के यहां आती-जाती रहीं. शाम के वक्त जब सिद्धू राहुल के घर पहुंचे तब भी प्रियंका मौजूद रहीं.


इससे पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार को लेकर अंदरूनी शिकायतों को सुनने के लिए सोनिया गांधी ने एक उच्चस्तरीय कमिटी बनाई जिसने सिद्धू समेत सभी विधायकों, सांसदों से एक एक कर उनकी राय जानी थी. कैप्टन दो बार कमिटी के सामने पेश हो चुके हैं. कमेटी सोनिया गांधी को अपनी रिपोर्ट सौंप भी चुकी है. इस बीच राहुल गांधी ने भी पंजाब के कई विधायकों और नेताओं से मिलकर फीडबैक ले चुके हैं. 


चुनाव से कुछ महीने पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह खुद सिद्धू के साथ टकराव नहीं चाहते लेकिन सिद्धू को कोई बड़ी जिम्मेदारी दिए जाने के खिलाफ भी हैं. कैप्टन की कार्यशैली से नाराज कांग्रेसी भी सिद्धू को कैप्टन का विकल्प बनाने के समर्थन में नहीं हैं. ऐसे में सिद्धू के पास कांग्रेस में रहकर कैप्टन से गिले शिकवे दूर करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है. क्या इसके लिए आलाकमान ने उन्हें राजी कर लिया है या नहीं ये जल्द पता लगेगा. 


सिद्धू की राहुल गांधी से मुलाकात के बाद अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या कैप्टन अमरिंदर सिंह को भी सोनिया गांधी और राहुल गांधी मिलने बुलाएंगे? क्योंकि पिछले हफ्ते कैप्टन को सोनिया गांधी से मिलने का मौका नहीं मिला था. कहा जा रहा है कि पंजाब का विवाद जुलाई के पहले हफ्ते में सुलझ जाएगा. लेकिन इतनी बैठकों के बाद भी मामला आसानी से सुलझता नजर नहीं आ रहा. सिद्धू अगर अब भी नहीं माने तो पंजाब में कांग्रेस को नुकसान तो होगा ही गांधी परिवार खास तौर पर राहुल और प्रियंका गांधी की काफी किरकिरी होगी.


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