नई दिल्ली: मोदी कैबिनेट ने आज सिख समुदाय को बड़ी खुशखबरी देते हुए कहा कि वह करतारपुर गलियारे (कॉरिडोर) के विकास के लिए पाकिस्तान सरकार से आग्रह करेगी. वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा कि भारत सरकार पंजाब के गुरदासपुर में डेरा बाबा नानक से अंतरराष्ट्रीय सीमा तक करतारपुर गलियारे का विकास करेगी. इससे पाकिस्तान में रावी नदी के तट पर स्थित गुरूद्वारा दरबार साहिब जाने वाले सिख श्रद्धालुओं को सुविधा मिल सकेगी.


मोदी कैबिनेट के फैसले पर कांग्रेस नेता और पंजाब सरकार में मंत्री नवजोत सिंह ने खुशी जताई और मोदी सरकार को धन्यवाद दिया. उन्होंने एक के बाद एक तीन ट्वीट किये. सिद्धू ने कहा, ''मैं भारत सरकार का शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने दुनिया के 12 करोड़ नानक नाम लैवस के हित में पाकिस्तानी सरकार से अनुरोध किया. मुझे उम्मीद है कि सुषमा स्वराज से जो वायदे किये थे वह पत्र तैयार होगा.''





उन्होंने आगे कहा, ''मैं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से गुजारिश करता हूं कि वह करतारपुर कॉरिडोर को खोलने के लिए उचित कदम उठाएंगे और बाबा नानक के भाईचारे और शांति क संदेशों को दुनिया के हर कोने में पहुंचाएंगे.''





दरअसल, करतारपुर साहिब कॉरिडोर को लेकर पिछले कुछ महीनों में राजनीतिक दलों के बीच खूब बयानबाजी हुई थी और विवाद हुआ था. विवाद की वजह इमरान खान के शपथ ग्रहण में नवजोत सिंह सिद्धू का जाना था. विवाद और अधिक तब बढ़ गया जब शपथ ग्रहण समारोह में उन्होंने पाकिस्तान के सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा को गले लगा लिया था.


बीजेपी ने कांग्रेस से सफाई मांगी थी. तब नवजोत सिंह सिद्धू ने विवाद को एक अलग मोड़ देते हुए कहा था कि उन्होंने बाजवा से गले मिलकर करतारपुर कॉरिडोर खोलने की अपील की थी. बाद में सिद्धू ने इस संबंध में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को पत्र भी लिखा था.


करतारपुर साहिब कॉरिडोर बनाने की गुजारिश करेगी मोदी सरकार, सिद्धू ने पाक दौरे पर उठाया था मुद्दा


गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने ट्वीट में कहा कि एक महत्वपूर्ण निर्णय में कैबिनेट ने गुरदासपुर से अंततराष्ट्रीय सीमा तक करतारपुर कारिडोर के विकास को मंजूरी प्रदान कर दी . करतारपुर कारिडोर परियोजना में केंद्र सरकार के वित्त पोषण से सभी आधुनिक सुविधाएं मुहैया करायी जायेंगी. इस संबंध में पाकिस्तान से भी उसके इलाकों में उपयुक्त सुविधाओं से लैस कारिडोर के विकास का आग्रह किया जायेगा.


करतारपुर गुरुद्वारा भारत-पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय सीमा से लगभग चार किलोमीटर दूर है और भारतीय पंजाब के गुरदासपुर जिले में स्थित डेरा बाबा नानक में सीमा पट्टी के ठीक सामने है, जहां गुरु नानक देव ने 1539 में निधन तक अपने जीवन के 18 साल बिताए थे. अगस्त 1947 में विभाजन के बाद यह गुरुद्वारा पाकिस्तान के हिस्से में चला गया. लेकिन सिख धर्म और इतिहास के लिए यह बड़े महत्व का है.