क्या हम फिर वहीं लौट आए?...C2+50 स्वामीनाथन फॉर्मूले का जिक्र कर किसान आंदोलन 2.0 के बीच नवजोत सिंह सिद्धू ने दागा सवाल
Kisan Andolan 2.0: एमएसपी समेत कई मुद्दों को लेकर दिल्ली कूच करने की कोशिश कर रहे किसान पंजाब और हरियाणा की सीमा पर रुके हुए हैं, इन सब के बीच किसान नेताओं और सरकार की बातचीत भी हो रही है.
Navjot Singh Sidhu on Farmers Protest: न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर दिल्ली आने की कोशिश कर रहे किसानों को बॉर्डर पर रोककर रखा गया है. इन सब के बीच किसान नेताओं और केंद्र सरकार के बीच बातचीत भी चल रही है. रविवार (18 फरवरी) को देर रात चौथे दौर की बैठक खत्म हुई तो सामने आया कि सरकार ने किसानों को एक प्रस्ताव दिया है जिस पर वो विचार विमर्श करके सरकार को बताएंगे.
इस प्रस्ताव में 5 साल के कॉन्ट्रैक्ट की बात कही गई है जिसको लेकर पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने सवाल उठाते हुए कहा कि क्या हम फिर से उसी चौराहे पर लौट आएं हैं जहां हम पहले थे. उन्होंने स्वामीनाथन फॉर्मूले का जिक्र करते हुए यह टिप्पणी सोमवार (19 फरवरी, 2024) को सोशल मीडिया मंच एक्स (पूर्व में टि्वटर) के जरिए की.
The real issue of Farmer emancipation is the law on assured purchase of crops on C2+50 Swaminathan Formula , instead of an MSP law is the Central Government going back to Contract farming , against which the Kisaan aandolan was waged for 380 days - Contract farming was one of the…
— Navjot Singh Sidhu (@sherryontopp) February 19, 2024
क्या कहा नवजोत सिंह सिद्धू ने?
उन्होंने कहा, "किसान आंदोलन का असली मुद्दा सी2 प्लस 50 स्वामीनाथन फॉर्मूले पर फसलों की सुनिश्चित खरीद का कानून है. एमएसपी कानून के बजाय सरकार कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की ओर लौट रही है, जिसके खिलाफ 380 दिनों तक आंदोलन किया गया था. 3 कृषि कानूनों में से एक कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को लेकर कानून था, जिसे बाद में निरस्त कर दिया गया. क्या हम वापस उसी स्थित में आ गए हैं?"
सरकार के प्रस्ताव में क्या?
केंद्रीय मंत्री पीषूय गोयल ने किसान नेताओं के साथ बातचीत खत्म होने के बाद रविवार (18 फरवरी) देर रात कहा कि सरकार ने सहकारी समितियों एनसीसीएफ (भारतीय राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ मर्यादित) और नाफेड (भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ) को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर दालें खरीदने के लिए किसानों के साथ पांच साल का समझौता करने का प्रस्ताव दिया है.
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