नई दिल्लीः अमृतसर ट्रेन हादसे में 59 लोगों की मौत के बाद सबसे ज्यादा आरोपों के घेरे में नवजोत सिंह सिद्धू और उनकी पत्नी आ रहे हैं. सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर के साथ आयोजक सौरभ मदान उर्फ मिट्ठू को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं. आयोजन की परमिशन ली गई थी या नहीं, नवजोत कौर के घटनास्थल से जाने के पीछे असली वजह क्या थी, इन सारे सवालों को लेकर एबीपी न्यूज ने सिद्धू से एक्सक्लूसिव बात की है.
आयोजन की परमिशन पर क्या बोले सिद्धू
सिद्धू ने कहा कि आयोजनकर्ता की तरफ से कार्यक्रम की परमिशन ली गई थी और इसके कागजात दिखाए जा चुके हैं. कार्यक्रम के आयोजन के लिए चारदीवारी के अंदर के हिस्से के लिए परमिशन ली गई थी जहां रावण दहन होना था और मंच लगा था. उसी स्थान पर कार्यक्रम किया गया और मेरी पत्नी भी उसी स्थान पर गई थीं. रावण दहन के कार्यक्रम में रावण दहन परमिशन थी या नहीं इसकी जांच अतिथि नहीं करता है और कोई मामला बताया जाए जिसमें ऐसी जांच पहले की गई हो. मेरी पत्नी की इसमें कोई गलती नहीं है.
रेलवे पर भी उठाए सवाल
नवजोत सिंह सिद्धू ने सवाल उठाए कि हमेशा धीमे चलने वाली ट्रेन, तेज रफ्तार से कैसे आई? इसे लड्डू ट्रेन कहा जाता है क्योंकि ये हमेशा 30 किलोमीटर की रफ्तार से चलती है लोग इसमें चलते चलते सवार हो जाते हैं. हमेशा 30 किलोमीटर प्रति घंटा वाली ट्रेन हादसे वाले दिन ट्रेन 110 किलोमीटर की रफ्तार से चल रही थी तो क्या इसके पीछे कोई खास वजह थी. हादसे से पहले 2 ट्रेनें उसी पटरी से गुजरीं जो 25 किलोमीटर प्रति किलोमीटर की स्पीड से गई थीं. रेलवे फाटक के पास हादसा रोकने की जिम्मेदारी रेलवे की नहीं तो किसकी थी और रेलवे फाटक से 300 मीटर दूर ट्रेन ने हॉर्न क्यों नहीं बजाया. ट्रेन के ऊपर न तो हेडलाइट थी जो 3 किलोमीटर दूर तक का साफ दिखाती है, ऐसे में एफआईआर दर्ज क्यों नहीं हुई और सबसे बड़ी बात ऐसी कौनसी इंक्वायरी बिठाई गई कि ड्राइवर को एक दिन में ही क्लीन चिट दे दी गई. ड्राइवर का क्या नाम था और क्या वो सिर्फ एक दिन के लिए आया था या परमानेंट था, कैसे उससे ज्यादा पूछताछ नहीं की गई. रेलवे ने कैसे हादसे से पल्ला झाड़ लिया? ये सब वो सवाल हैं जो जनता पूछ रही है और इनका जवाब मिलना चाहिए.
पत्नी नवजोत कौर के बचाव में बोले सिद्धू
नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि मैं तो अमृतसर में था ही नहीं और बंग्लुरू गया हुआ था. मेरी जगह मेरी पत्नी को जाना था और वो उस दिन छह कार्यक्रम में जाने वाली थीं. उनके बारे में फैलाया जा रहा है कि वो कार्यक्रम में देर से पहुंची थी वो बिलकुल गलत है क्योंकि साढ़े छह बजे का समय था और वो छह चालीस पर कार्यक्रम में मौजूद थीं. जोड़ा फाटक के रावण दहन के कार्यक्रम के तुरंत बाद वो पांचवे कार्यक्रम में जाने वाली थीं और वहां से निकल गई थीं. जैसे ही वो निकली और उनके पास फोन आया कि हादसा हो गया है तो कमिश्नर ऑफ पुलिस ने खुद उनसे कहा कि वो हादसे की जगह न आएं क्योंकि लोग काफी गुस्सा हो रहे हैं तो वो सीधे घायलों का हाल जानने के लिए अस्पताल चली गईं और रात 12.55 तक वहां रही हैं. हर समय अमृतसर संविधान क्षेत्र के लिए निष्ठा भाव से काम में लगी रहने वाली मेरी पत्नी के ऊपर कोई सवाल कैसे उठा सकता है.
जांच के ऊपर सिद्धू का मत
सिद्धू ने कहा कि कैप्टन अमरिंदर सिंह ने जो मजिस्ट्रेट जांच की बात कही है वो तो हमें मानना है लेकिन इसके साथ साथ रेलवे की जिम्मेदारी के ऊपर भी जांच होनी चाहिए लेकिन ये राज्य सरकार नहीं कर सकती है क्योंकि ये केंद्र के अधिकार क्षेत्र का मामला है. केंद्र सरकार को रेलवे की चूक की जांच करनी चाहिए क्योंकि स्थानीय प्रशासन के स्तर पर जो गलती हुई है वो मजिस्ट्रेट जांच से सामने आ जाएगा.
पार्षद सौरभ मदान उर्फ मिट्ठू पर बोले नवजोत सिंह सिद्धू
उन्होंने कहा कि आयोजक होने के नाते उनकी जिम्मेदारी का पालन शायद सही से नहीं हुआ ये वो साफ तौर पर कह नहीं सकते. हालांकि कार्यकम के आयोजन के लिए जरूरी परमिशन ली गई थीं जैसा कि पहले बताया जा चुका है. लोगों में काउंसुलर के प्रति गुस्सा है और उनके घर पर भी पथराव किया गया है और शायद इसी वजह से वो बाहर नहीं आ रहे हैं.
सुखबीर सिंह बादल पर लगाया लाशों की राजनीति करने का आरोप
सिद्धू ने सुखबीर सिंह बादल पर लाशों की राजनीति करने का आरोप लगाया है और कहा कि जिस तरह से इस मसले को राजनीतिक रंग दिया जा रहा है उससे उन्हें दाल में कुछ काला लग रहा है. सुखबीर सिंह बादल राजनीतिक तौर पर मरे हुए हैं और इस हादसे को अपनी राजनीति चमकाने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं. सिद्धू ने कहा कि ये बेहद दुखद हादसा है और मैं लाशों की राजनीति नहीं करता जैसा बादल कर रहे हैं.
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