Matoshree Hanuman Chalisa Row: अमरावती से निर्दलीय सांसद नवनीत राणा ने रविवार को अस्पताल से छुट्टी मिलते ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर जोरदार हमला बोला और महिला की आवाज दबाने का आरोप लगाया. नवनीत ने महाराष्ट्र सीएम को उनके खिलाफ चुनाव लड़ने तक की चुनौती दे डाली और कहा कि उनकी लड़ाई जारी रहेगी. उन्होंने कहा कि उद्धव ठाकरे ने सत्ता का दुरुपयोग कहा. अगर दम है तो उद्धव ठाकरे उनके खिलाफ चुनाव लड़कर दिखाएं. अमरावती से सांसद ने आगे कहा कि उद्धव मेरी आवाज नहीं दबा सकते हैं. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि उद्धव के गुंडों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.


नवनीत राणा बोले- मुझे किस बात की दी जा रही सज़ा


नवनीत राणा ने कहा कि मुझे किस बात की सज़ा दी जा रही है. अगर हनुमान चालीसा पढ़ना और भगवान का नाम लेना गुनाह है तो  14 दिन नहीं 14 साल जेल में रहने को तैयार हूं. अगर ये लगता है कि जेल से महिला की आवाज दबा सकते हैं तो हमारी लड़ाई भगवान के नाम से है और मैं उसे आगे भी जारी रखने वाली हूं. इससे पहले नवनीत राणा को अस्पताल में छुट्टी मिलने के बाद समर्थकों ने हनुमान जी की मूर्ति भेंटकर उनका स्वागत किया. इसके साथ ही, उनके माथे पर तिलक लगा और शॉल ओढाकर नवनीत राणा का लोगों ने स्वागत किया. हाथ में हनुमान चालीसा लेकर नवनीत राणा बाहर निकलीं.


मुंबई पुलिस ने बताया- बड़ा साजिश


मुंबई पुलिस ने पिछले हफ्ते दंपति की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि उनकी योजना से अपराध की मंशा नहीं दिखती है, लेकिन वास्तव में यह राज्य सरकार को चुनौती देने की एक ‘‘बड़ी साजिश’’ थी. योजना का उद्देश्य कानून-व्यवस्था की स्थिति को बिगाड़ना था और फिर महाराष्ट्र के राज्यपाल द्वारा वर्तमान सरकार को भंग करने की मांग करना था. पुलिस ने कहा था कि जब भड़काऊ बयानों के इस्तेमाल से सार्वजनिक अव्यवस्था पैदा करने या कानून-व्यवस्था को बिगाड़ने की घातक प्रवृत्ति या मंशा होती है तो राजद्रोह के प्रावधान लगाए जाते हैं.


हालांकि, दंपति के भाषणों पर गौर करते हुए अदालत ने कहा, ‘‘निस्संदेह, याचिकाकर्ताओं ने संविधान के तहत मिले भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सीमाओं को लांघा है. हालांकि, केवल अपमानजनक या आपत्तिजनक शब्दों की अभिव्यक्ति आईपीसी की धारा 124 ए में निहित प्रावधानों को लागू करने के लिए पर्याप्त आधार नहीं हो सकती है.’’ अदालत ने कहा, ‘‘ये प्रावधान तभी लागू होंगे जब लिखित और बोले गए शब्दों में हिंसा का सहारा लेकर सार्वजनिक शांति को भंग करने या अशांति पैदा करने की प्रवृत्ति या इरादा हो. हालांकि, याचिकाकर्ताओं के बयान और कार्य दोषपूर्ण हैं, लेकिन वे इतने भी पर्याप्त नहीं हैं कि उन्हें आईपीसी की धारा 124 ए के दायरे में लाया जा सके.’’


क्या है पूरा विवाद?


मुंबई पुलिस ने उपनगरीय बांद्रा में ठाकरे के निजी आवास ‘मातोश्री’ के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ करने की घोषणा के बाद 23 अप्रैल को राणा दंपति को गिरफ्तार किया था. उन पर राजद्रोह और वैमनस्व को बढ़ावा देने के आरोप सहित आईपीसी के विभिन्न प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था. जमानत मिलने के एक दिन बाद बृहस्पतिवार को दंपति जेल से बाहर आए. राणा दंपति ने अपनी जमानत याचिका में दावा किया था कि ‘मातोश्री’ के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ करने के आह्वान को वैमनस्य या घृणा की भावनाओं को बढ़ावा देने वाला नहीं कहा जा सकता है और धारा 153 (ए) के तहत ये आरोप नहीं टिकते हैं.


अदालत ने कहा कि यह ध्यान देने वाली बात है कि न तो याचिकाकर्ताओं ने किसी को हथियार के साथ बुलाया और न ही उनके भाषण के परिणामस्वरूप किसी भी तरह की हिंसा को उकसावा मिला. न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मेरे विचार में इस संबंध में प्रथम दृष्टया आईपीसी की धारा 124 ए के तहत मामला नहीं बनता है.’’


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