नई दिल्ली: आज से चैत्र नवरात्रि शुरू हो रहे हैं. भारत के कई हिस्सों में नौ दिनों तक देवी मां के अलग-अलग स्‍वरूपों की पूजा की जाती है. आज पहले दिन मां शैलपुत्रि की पूजा कि जाएगी. भक्‍त पूरे नौ दिनों तक व्रत रखने का संकल्‍प लेते हैं. पहले दिन कलश स्‍थापना की जाती है और अखंड ज्‍योति जलाई जाती है. फिर अष्‍टमी या नवमी के दिन कुंवारी कन्‍याओं को भोजन कराया जाता है.


कई मंदिर बंद, कुछ में सुबह हुई पूजा


चैत्र नवरात्र के आखिरी दिन यानी कि नवमी को राम नवमी कहते हैं. नवरात्रि में मंदिरों में में मां के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ रहती थी, लेकिन इस बार कोरोना को देखते हुए मंदिर बंद हैं. हालांकि कई जगह सुबह पुजा के लिए मंदिर खोले गए. देखना होगा कि लोग आज लॉकडाउन के चलते घर में ही रहकर पूजा करते हैं या फिर मंदिर दर्शन के लिए बाहर निकलते हैं.





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आज है देवी शैलपुत्री की पूजा, जानें इनके बारे में

देवी शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं. जिस कारण इन्हें शैलपुत्री कहते हैं. नवरात्रि में शैलपुत्री की पूजा विधि-विधान से करने से माता प्रसन्न होती हैं और शुभ फल प्रदान करती हैं.


शैलपुत्री का परिचय


मां दुर्गा के इस रुप की बहुत मान्यता है. प्रथम देवी के रुप में भी इनकी पूजा की जाती है क्योंकि नवरात्रि का प्रथम दिन मां शैलपुत्री को ही सर्मिपत किया गया है. शैलपुत्री के एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में कमल है. इनकी सवारी वृषभ है. माता शैलपुत्री को माता पार्वती और सती भी कहा जाता है. जिन्होने अपनी तपस्या के बल पर भगवान शिव को प्रसन्न कर उनसे विवाह किया था. शैलपुत्री की शक्तियां अनंनत हैं. शैलपुत्री को हिमालय की देवी भी कहा जाता है.


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