नई दिल्ली: देश भर में 17 अक्टूबर से नवरात्रे शुरू होने जा रहें है, जिसको लेकर लोगों में खास उत्साह देखने को मिल रहा है. हालांकि कोरोना के चलते इस बार नवरात्रि में कुछ बदलाव देखने को जरूर मिल सकता है.
आपको बता दें, 17 अक्टूबर को नवरात्रि का पहला दिन है. नौ दिन तक देवी मां की पूजा-पाठ, आरती, व्रत रखकर उन्हें प्रसन्न करने की कोशिश की जाती रहेगी. नवरात्रि पर हम देखते है कि भक्त देवी मां को अलग-अलग तरह की पूजा सामग्री और भोग चढ़ाते है. पर क्या आप जानते है कि पूजा-अर्चना में इस्तेमाल की जाने वाली हर सामग्री का एक अलग महत्व होता है.
आईये जानते है कि किन-किन सामग्रीयों का क्या-क्या महत्व है, और कितना जरूरी
हिंदू धर्म में किसी भी पूजा-पाठ की शुरुआत बिना कलश स्थापना के बिना नहीं की जाती. कलश स्थापना बेहद ही महत्वपूर्ण माना जाता है. इसलिए नवरात्रों में मां दुर्गा की पूजा करते वक्त कलश स्थापना करना जरूर चाहिए.
वहीं, मान्यता ये भी है कि नवरात्रि पर जो का बोना काफी महत्वपूर्ण होता है. वो इसलिए क्योंकि इस सृष्टि की शुरुआत में जो सबसे पहली फसल थी. कहा जाता है कि जो के बोने से जिंदगी में तनाव और परेशानी की स्थिति खत्म होती है.
नवरात्रों में मां के स्वागत के लिए घर के मुख्य द्वार को अशोक के पत्तों के साथ सजाया जाता है. साथ ही आम रखें जाते है. कहा जाता है इससे घर से नकारत्मक शक्तियां बाहर निकलती है और सकारात्मक अंदर प्रवेश करती है.
अखंड दीप नौ दिनों तक जलाना विशेश माना जाता है. कहा जाता है कि शुद्ध देसी घी के दिए जलाने से देवी-देवताओं की कृपा मिलती है. साथ ही हमारे जीवन से हर तरह की समस्याओं से छुटकारा मिलता है.
वहीं, इस साल कोरोना काल के चलते मंदिरों में कम भीड़ देखने को मिल सकती है, लोग एक दूसरे से दूरी बनाते हुए दिखाई देंगे. साथ ही प्रशासन भी नवरात्रि में सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों को लेकर सख्त होते दिख रहा है.
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