Mumbai News: दुनिया के सबसे महंगे शहरों में से एक देश की आर्थिक राजधानी मुम्बई में जमीन की कीमत सबसे ज्यादा है. दक्षिण मुम्बई में बस  कफ परेड इलाका देश का सबसे महंगा इलाका माना जाता है. अरबपतियों का इलाका कहे जाने वाले कफ परेड के एक हिस्से में नेवी नगर के अलावा हजारों झुग्गी बस्तियां हैं. बहुत सी लम्बी और पेचीदा क़ानूनी और प्रशासनिक प्रक्रिया में अनापत्ति प्रमाण पत्र हासिल करने के बाद आखिरकार देश के सबसे महंगे और बहुचर्चित एसआरए ( Slum Rehabilitation Authority) प्रोजेक्ट की प्रक्रिया शुरू हुई है.


अब इसके बचे एकमात्र पड़ाव यानी इंडियन नेवी के परमिशन लेने की प्रक्रिया शुरू हुई है. इस प्रस्तावित प्रोजेक्ट के करीब ही नेवी का बेस है और इसीलिए उसके नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट की ज़रूरत होती है. डेवलपर शापूरजी पालनजी के डायरेक्टर डॉ राजेंद्र प्रताप सिंह ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा "हमने नेवी एनओसी के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है. हमारे बाकी सारी परमिशन और पेपर वर्क आर्डर में है. हम सारे ज़रूरी क्राइटेरिया पर खरे उतरते है. 90% से ज़्यादा योजना से लाभान्वित होने वाले झोपड़पट्टी वासियों का समर्थन है.


उन्होंने आगे कहा कि बॉम्बे हाई कोर्ट, हाई पावर कमिटी, ग्रिएवांस रिड्रेसल कमेटी और बाकी सरकारी विभागों से हमें क्लियरेन्स मिल चुका है. यहां तक कि हाई कोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट में भी फैसला आ चुका है. राज्य सरकार और गृह निर्माण विभाग के फ़ास्ट ट्रैक होने से हमारी इस SRA योजना में तेज़ी आयी है. करीब 70 हजार झोपडपट्टीवासियों का जीवन बदल जाएगा. अब हमें उम्मीद है कि जल्द ही नेवी का नो-ऑब्जेक्शन मिलते ही हम काम पूरे ज़ोर शोर से शुरू कर देंगे."


गौरतलब है कि देश में 7,000 से ज्यादा झोपड़पट्टी वाला ये प्रोजेक्ट एक लैंडमार्क प्रोजेक्ट बनने जा रहा है. पहली बार किसी SRA प्रोजेक्ट में स्मार्ट सिटी के सभी फीचर होंगे जो सीसीटीवी, सिक्योरिटी, पब्लिक वाईफाई, वेस्ट मैनेजमेंट, एनर्जी मैनेजमेंट और वॉटर मैनेजमेंट समेत कई सुविधाओं से लैस होगा. इस प्रोजेक्ट में 42 मंजिला बिल्डिंगों के कई सारे टावर होंगे जो कि एसआरए के तहत के तहत ये सबसे ऊंची बिल्डिंग्स होंगी.


इस एसआरए प्रोजेक्ट के बाद यहां की झुग्गियों में रहने वाला शख्स करोड़पति बन जाएगा. SRA को इस योजना के परिणामस्वरूप 900 करोड़ रुपये प्रीमियम के रूप में मिलेंगे. जबकि राजस्व विभाग को स्टांप ड्यूटी के रूप में लगभग 3200 करोड़ रुपये मिलेंगे. इसके अलावा बीएमसी को संपत्ति कर के रूप में प्रति वर्ष 100 करोड़ रुपये मिलेंगे. 


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