महाराष्ट्र: सियासी हलचल के बीच एनसीपी का बड़ा बयान, कहा- हम वैकल्पिक सरकार देने के लिए तैयार
24 अक्टूबर को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आए थे. बीजेपी 105 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. लेकिन शिवसेना के 50-50 फॉर्मूले पर अड़ी है जिसके चलते महाराष्ट्र में अभी तक सरकार नहीं बन पायी है.
मुंबई: महाराष्ट्र में चुनावी नतीजों के सरकार बनाने का समय निकल चुका है. राज्यपाल ने बीजेपी को सरकार बनाने का न्योता दिया है. देवेंद्र फडणवीस को सोमवार रात आठ बजे तक बहुमत साबित करना है. शिवसेना की नाराजगी के चलते बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद बहुमत के लिए जरूरी नंबरों से काफी दूर है. वहीं ओर शिवसेना और एनसीपी दोनों एक दूसरे पर डोरे तो डाल रहे हैं लेकिन समर्थन लेने और देने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं.
एनसीपी के नेता नवाब मलिक ने आज सरकार बनाने का दावा पेश करने के सवाल पर बड़ा बड़ बयान दिया. उन्होंने कहा कि अगर बीजेपी सरकार नहीं बना पाती है तो एनसीपी वैकल्पिक सरकार देने के लिए तैयार है.
नवाब मलिक ने कहा, ''मिलिंद देवड़ा जी ट्वीट देखकर आशचर्य हो रहा है. महाराष्ट्र में शिवसेना दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है अगर वो भी तैयार नहीं होती तो हम तीसरे नंबर के दल हैं. हमें सरकार बनाने के लिए बुलाया जाएगा ऐसा हमें नहीं लगता. शिवसेना को अगर सरकार बनाने का मौका मिलता है तब कांग्रेस-एनसीपी साथ बैठकर फैसला लेंगे.''
मिलिंद देवड़ा ने आखिर कहा क्या? कांग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा ने कहा कि राज्यपाल को दूसरे सबसे बड़े गठबंधन को सरकार बनाने के लिए निमंत्रण देना चाहिए. मिलिंद देवड़ा ने ट्वीट किया, ''बीजेपी शिवसेना सरकार नहीं बनाती तो महाराष्ट्र के राज्यपाल को दूसरे सबसे बड़े गठबंधन एनसीपी-कांग्रेस को आमंत्रित करना चाहिए.''
महाराष्ट्र में कहां फंसा है पेंच? बता दें कि 24 अक्टूबर को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आए थे. बीजेपी 105 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. जबकि उसके साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रही शिवसेना 56 सीटें जीतकर दूसरे नंबर की पार्टी बनी थी. एनसीपी 54 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल कर तीसरे नंबर पर रही थी और 44 विधानसभा सीटें जीतकर कांग्रेस चौथे स्थान पर रही थी.
शिवसेना ने लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के साथ तय हुए 50-50 के फार्मूले के आधार पर ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री का दावा ठोक दिया था. शिवसेना का मुख्यमंत्री पहले ढाई साल के लिए बने, इस जिद पर शिवसेना अड़ गई थी. हालांकि बीजेपी नेताओं ने यह साफ कर दिया था कि 50-50 का जो फार्मूला तय हुआ था उससे मुख्यमंत्री का पद बाहर था.