Telangana Congress MLA Seethakka: एक महिला अगर ठान ले तो क्या कुछ नहीं कर सकती. इसकी ताजा मिसाल तेलंगाना (Telangana) से कांग्रेस (Congress) विधायक 51 वर्षीय दानासारी अनसूया (Danasari Anasuya) उर्फ सीथक्का ने पेश की है. पूर्व नक्सली कमांडर रह चुकी सीथक्का (Seethakka) ने नक्सलवाद का रास्ता छोड़ पढ़-लिखकर पहले वकालत की पढ़ाई पूरी की, फिर विधायक बनीं और अब उन्होंने पीएचडी भी कर ली है. सीथक्का ने अपनी पीएचडी (PHD) राजनीति विज्ञान में की है.
सीथक्का ने खुद मंगलवार (25 अक्टूबर) को ट्विटर पर इसकी घोषणा करते हुए कहा कि उस्मानिया यूनिवर्सिटी (Osmania University) से उन्होंने पीएचडी पूरी की है. उन्होंने आदिवासियों से संबंधित विषय उठाया और वारंगल और खम्मम जिले में गोटी कोया जनजातियों की केस स्टडी में पीएचडी की. निश्चित तौर पर एक पूर्व नक्सली के लिए यह गर्व का पल था, जिसने 1997 में विद्रोह का रास्ता छोड़ कानून की पढ़ाई की और फिर राजनीति में कदम रखा. दानासारी अनसूया वर्तमान में कांग्रेस नेता और तेलंगाना के मुलुग निर्वाचन क्षेत्र से विधायक हैं.
क्या बोलीं सीथक्का?
सीथक्का ने अपनी इस उपलब्धि के मौके पर अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए ट्विटर पर लिखा, "बचपन में मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं माओवादी बनूंगी, जब मैं नक्सली थीं तो मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं वकील बनूंगीं, जब मैं वकील बनी, मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं विधायक बनूंगीं, जब मैं विधायक बनीं तो मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं पीएचडी करूंगी. अब आप मुझे राजनीति विज्ञान में पीएचडी, डॉक्टर अनुसूया सीथक्का कह सकते हैं."
सीथक्का ने कहा कि इससे पहले वह साल 2012 में ही पीएचडी की डिग्री हासिल करना चाहती थीं और विधायक बनने के बाद उन्होंने एक बार एग्जाम भी दिया था, लेकिन उस वक्त उन्हें बतौर विधायक अपने कार्यों को अधिक प्राथमिकता देनी पड़ी थी. सीथक्का ने अपनी पीएचडी की थीसिस गोटी कोया जनजाति का अभावपूर्ण जीवन और सामाजिक अलगाववाद पर की है. वह खुद भी वारंगल और खम्मम जिलों में बसी इसी आदिवासी जनजाति से ताल्लुक रखती हैं.
कौन हैं सीथक्का?
कोया जनजाति से ताल्लुक रखने वाली सीथक्का बहुत छोटी उम्र में ही नक्सल आंदोलन में शामिल हो गई थीं. उन्होंने नक्सली कमांडर के तौर पर आदिवासी इलाकों में हथियारबंद नक्सली दस्ते का नेतृत्व भी किया. कई बार पुलिस से उनकी मुठभेड़ भी हुई. इसी प्रकार की एक पुलिस मुठभेड़ में सीथक्का ने अपने पति और भाई को खो दिया था. इसके बाद 1994 में सीथक्का ने नक्सवाद का रास्ता छोड़ हथियार डाल दिए और पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया.
नक्सलवाद का रास्ता छोड़ने के बाद उनके जीवन में कई सकारात्मक बदलाव आए. उन्होंने अब अपना पूरा ध्यान शिक्षा पर केंद्रित कर दिया. उन्होंने कानून की पढ़ाई करने के बाद वारंगल की एक अदालत में वकील के रूप में प्रैक्टिस भी की.
राजनीति में हुई एंट्री
सीथक्का ने साल 2014 में तेलुगु देशम पार्टी की टिकट पर सबसे पहले चुनाव लड़ा. हालांकि, इस चुनाव में उन्हें सफलता हाथ नहीं लगी और वह हार गईं. इसके बाद 2009 के विधानसभा चुनाव में उन्हें जीत हासिल हुईं और वह विधानसभा पहुंचीं. 2014 के चुनावों में उन्हें एक बार फिर से हार का मुंह देखना पड़ा और वह तीसरे स्थान पर रहीं. इसके बाद 2017 में उन्होंने टीडीपी को छोड़कर कांग्रेस का हाथ थाम लिया.
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