नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने एनडीपीएस कानून के तहत गिरफ्तार आरोपी की जमानत के आदेश को चुनौती देने में अभूतपूर्व विलंब के लिये नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो पर 25,000 रूपए का जुर्माना लगाया है. न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि जुर्माने की यह रकम उन अधिकारियों से वसूल की जाये जो 254 दिन के विलंब के लिये जिम्मेदार हैं.


न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय की पीठ ने कहा कि उड़ीसा उच्च न्यायालय के अप्रैल, 2019 के जमानत के आदेश के खिलाफ अपील दायर करने में 254 दिन का विलंब हुआ है.


पीठ ने कहा, ‘‘यह अकेला मामला नहीं है बल्कि अत्यधिक विलंब के बाद विभिन्न सरकारी एजेन्सियों से ऐसे अनेक मामले इस न्यायालय में आ रहे हैं जो इनके विधि विभाग की प्रशासनिक अक्षमता को दर्शाता है. यही नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के विधि विभाग में भी हो रहा है जो ज्यादा ही दुखद तस्वीर पेश कर रहा है.’’


शीर्ष अदालत ने इस विलंब की माफी के लिये दायर आवेदन का जिक्र करते हुये कहा कि अपील दायर करने का प्रस्ताव पिछले साल दो मई को दिया गया था और इसे एनसीबी मुख्यालय के उप कानूनी सलाहकार के कार्यालय से विधि एवं न्याय मंत्रालय के पास 23 जुलाई, 2019 को भेजा गया था.


इस प्रक्रिया में संबंधित अधिकारियों द्वारा लगाये गये समय का जिक्र करते हुये पीठ ने कहा, ‘‘हमें इसमें कोई संदेह नहीं है कि विभाग के विधि मामलों में अधिकारी काफी लापरवाह रहे हैं.’’


पीठ ने कहा कि हाल ही में एक अन्य मामले में सरकारी एजेन्सी का इसी तरह का रवैया पाया और उसने साफ कर दिया था कि आधुनिक प्रौद्योगिकी के युग में इस तरह के बहाने नहीं चलेंगे.


पीठ ने कहा, ‘‘अत: हम याचिकाकर्ता नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो पर 25,000 रूपए का जुर्माना लगा रहे हैं जो चार सप्ताह के भीतर मध्यस्थता और समझौता परियोजना समिति के पास जमा कराना होगा.’’


पीठ ने कहा कि विशेष अनुमति याचिका दायर करने में विलंब के लिये जिम्मेदार अधिकारियों से यह रकम वसूली जायेगी और इस अवधि के भीतर धन प्राप्त करने संबंधी प्रमाण पत्र भी इस न्यायालय में दायर करना होगा. न्यायालय ने इस निर्देश के साथ नोटिस जारी किया जिसका जवाब तीन सप्ताह में मांगा गया है.


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