मुंबई एनसीबी के पास इस बात का कोई जवाब नही है कि उसने एक बीजेपी कार्यकर्ता और एक आपराधिक रिकॉर्ड वाले शख्स को अपने आरोपी को क्यों पकड़ने दिया. बॉलीवुड में चल रहे ड्रग्स रैकेट के खिलाफ मुहिम चला रहा नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो खुद विवादों में फंस गया है. एनसीपी नेता नवाब मलिक ने आरोप लगाया है कि ब्यूरो बीजेपी कार्यकर्ताओं और अपराधियों को साथ लेकर अपनी कार्रवाई को अंजाम दे रही है. उन्होंने ब्यूरो के इस दावे को भी झूठ बताया कि क्रूज़ पर से ड्रग्स बरामद हुए थे. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के पास इन आरोपों के कोई ठोस जवाब नही हैं.


भारत के जिन जिन राज्यों में गैर बीजेपी पार्टियां सत्ता में हैं, वहां आरोप लगाए जाते रहे हैं कि केंद्र की बीजेपी सरकार अपने अधीन काम करने वाली केंद्रीय जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही हैं. इन आरोपों को मंगलवार के दिन और बल मिल गया जब एनसीपी से महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नवाब मलिक ने आरोप लगाया कि नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो बीजेपी कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर काम कर रहा है.


ये दो नाम एनसीबी के गले की फांस बन गए


मनीष भानुशाली और किरण गोसावी, ये दो नाम एनसीबी के गले की फांस बन गए हैं. रविवार तड़के मुंबई बंदरगाह पर कॉर्डिलिया नाम के क्रूज़ पर कथित छापेमारी के बाद भानुशाली अरबाज़ मर्चेंट नाम के आरोपी को और गोसावी शाहरुख खांन बेटे आर्यन को पकड़ कर एनसीबी दफ्तर में लाते हुए दिखाई दिए लेकिन ये दोनों न तो एनसीबी के अधिकारी हैं और न ही पुलिसकर्मी. इनमे से एक मनीष भानुशाली बीजेपी का कार्यकर्ता रह चुका है और दूसरे का आपराधिक रिकॉर्ड रहा है. महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नवाब मलिक ने सवाल उठाया कि ये लोग एनसीबी अधिकारियों के साथ क्या कर रहे थे . उनका आरोप है कि एनसीबी बीजेपी के इशारे पर काम कर रही है.


मनीष भानुशाली सालों से बीजेपी का कार्यकर्ता है. उसने अपने सोशल मीडिया एकाउंट्स मे पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के साथ तस्वीरें डालीं हुईं हैं. भानुशाली ने खुद ये बात क़बूल की कि वो बीजेपी से जुड़ा रहा है. उसके मुताबिक क्रूज़ पर ड्रग्स पार्टी की जानकारी उसे मिली थी जिसे उसने एनसीबी के साथ साझा किया लेकिन वो इस बात की कोई सफाई नही दे सका कि आखिर किसी पुलिसकर्मी की तरह वो खुद क्यों एक आरोपी को पकड़ कर दफ्तर ला रहा था.


खुद को प्राइवेट डिटेक्टिव बताता है किरण गोसावी


आर्यन खान के साथ सेल्फी में दिख रहा दूसरा शख्स किरण गोसावी है जो कि खुद को प्राइवेट डिटेक्टिव बताता है. गोसावी की पृष्टभूमि निकालने पर पता चला कि उसपर मुंबई, ठाणे और पुणे में करीब आधा दर्जन आपराधिक मामले दर्ज हैं. गोसावी पर आरोप है कि वो युवाओं को विदेश में नौकरी दिलाने के नाम पर उनसे धोखाधडी करता है. एनसीबी ने अपनी सफाई में इतना ही कहा कि कुल 9 लोगों को बतौर पंच यानी कि स्वतंत्र गवाह के तौर पर बुलाया गया था जिनमे भानुशाली और गोसावी भी शामिल थे.


...लेकिन एनसीबी इन सवालों का जवाब नही दे पायी कि उन्होंने इन दोनो लोगों को आरोपियों का हाथ पकड़कर उन्हें अपने दफ्तर लाने की इजाजत क्यों दी और एक आपराधिक रिकॉर्ड वाले शख्स को अपने आपरेशन में क्यों शामिल किया. कॉर्डिलिया क्रूज़ का विवादित आपरेशन एनसीबी के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े के नेतृत्व में किया गया था. जब हमने उनसे आरोपो पर सवाल किया तो वे बचते नज़र आये.


पिछले डेढ़ साल बॉलीवुड को ड्रग्स की गिरफ्त से निकालने के लिए चलाई गई मुहीम से एनसीबी और समीर वानखेड़े ने जमकर वाह वाही लूटी...लेकिन फिलहाल जिस विवाद में एनसीबी फंसी है, उससे न केवल उसकी नीयत पर सवाल खड़े हुए हैं बल्कि उसकी साख पर भी बट्टा लगा है. एनसीबी अधिकारियों की चूक ने मामले को सियासी रंग भी दे दिया है.


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