NCERT Textbook Row: राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की 11वीं क्लास की राजनीतिक विज्ञान की किताब से स्वतंत्रता सेनानी और देश के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद के उल्लेख को हटा दिया गया है. 


एनसीईआरटी ने किताबों को युक्तिसंगत बनाने और कुछ अंशों के अप्रसांगिक होने के आधार पर एनसीईआरटी ने गुजरात दंगों, मुगल दरबार, आपातकाल, शीत युद्ध, नक्सल आंदोलन आदि के कुछ पार्ट को किताबों से हटा दिया था. 


बुक को युक्तिसंगत बनाने संबंधी नोट में 11वीं कक्षा के राजनीतिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में किसी तरह के बदलाव का उल्लेख नहीं किया गया था. एनसीईआरटी ने हालांकि यह दावा किया है कि इस साल पाठ्यक्रम में कोई काटछांट नहीं की गई है और पिछले साल जून में ठीक, बनाया गया था. 


एनसीईआरटी ने क्या कहा था?
एनसीईआरटी के प्रमुख दिनेश सकलानी ने बुधवार (11 अप्रैल) को कहा कि यह अनजाने में चूक हो सकती है कि पिछले वर्ष पाठ्यपुस्तकों को युक्तिसंगत बनाने की कवायद में कुछ पार्ट को हटाने की घोषणा नहीं की गई. संशोधित पंक्ति को अब ऐसा पढ़ा जायेगा, ‘‘ आमतौर पर जवाहर लाल नेहरू, राजेन्द्र प्रसाद, सरदार पटेल या बी आर अंबेडकर ने इन समितियों की अध्यक्षता की थी.’’


किस पैराग्राफ को हटाया गया?
इसी पुस्तक के दसवें पाठ ‘‘ संविधान का दर्शन’ में जम्मू कश्मीर का सशर्त विलय उल्लेख को हटा दिया गया है. इस किताब में इस पैराग्राफ को हटा दिय गया... ‘‘ जम्मू कश्मीर का भारतीय संघ में विलय संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत स्वायत्ता की प्रतिबद्धता पर आधारित थी.' गौरतलब है कि पिछले साल मौलाना आजाद फेलोशिप को अल्पसंख्यक मंत्रालय ने रोक दिया था. 


एनसीईआरटी की नये शैक्षणिक सत्र के लिए 12वीं क्लास की राजनीतिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में ‘महात्मा गांधी की मौत का देश की साम्प्रदायिक स्थिति पर प्रभाव, गांधी की हिन्दू मुस्लिम एकता की अवधारणा ने हिन्दू कट्टरपंथियों को उकसाया,’ और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) जैसे संगठनों पर कुछ समय के लिए प्रतिबंध सहित कई विषयों से संबंधित पार्ट नहीं है. 


ये भी पढ़ें- NCERT Syllabus: 250 शिक्षाविदों, इतिहासकारों का एनसीईआरटी विवाद पर बयान, 'ये सरकार का विभाजनकारी और पक्षपातपूर्ण एजेंडा'