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10वीं और 12वीं बोर्ड में सेमेस्टर सिस्टम लागू होने से छात्रों और उनके रिजल्ट पर क्या असर होगा?

एनसीईआरटी में बदलाव के बाद अब देश भर के स्कूलों में स्कूली शिक्षा में बदलाव की पहल की गई है. इस बदलाव के लिए केन्द्र सरकार ने एक विशेषज्ञ समिति नियुक्त की है.

भारत के स्कूलों में जल्द ही एक बड़ा बदलाव होने वाला है. इसके लिए केन्द्र सरकार ने एक विशेषज्ञ समिति नियुक्त की है. नई राष्ट्रीय पाठ्यचर्चा की रूपरेखा (NCFFS) की विशेषज्ञ पैनल की तरफ से साल में दो बार बोर्ड परीक्षा (10वीं) और 12वीं कक्षा के लिए एक सेमेस्टर प्रणाली की सिफारिश करने की संभावना है. इसका मतलब है ये है कि छात्रों को एक शैक्षणिक वर्ष में दो सेमेस्टर या दो बोर्ड परीक्षाओं के लिए उपस्थित होना होगा. 

6 अप्रैल 2023 को शिक्षा मंत्रालय ने स्कूली शिक्षा में बदलाव के लिए राष्ट्रीय पाठ्यक्रम ढांचे का मसौदा जारी किया, जिसे इसरो के पूर्व अध्यक्ष के कस्तूरीरंगन के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय संचालन समिति के साथ मिलकर अंतिम रूप दिया जाएगा.

विशेषज्ञ समिति की सिफारिश के बाद अगर कोई छात्र एक सेमेस्टर या बोर्ड परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन नहीं करता है, तो उसे स्कूली शिक्षा के लिए नए राष्ट्रीय पाठ्यक्रम ढांचे (एनसीएफ) के अनुसार अगले सेमेस्टर के दौरान एक और मौका मिलेगा. 

इसी तरह केंद्र द्वारा नियुक्त राष्ट्रीय संचालन समिति की तरफ से तैयार किए गए प्रस्ताव में  एनसीईआरटी ने प्रस्ताव दिया है कि कला संकाय के छात्र विज्ञान और वाणिज्य विषयों को पढ़ सकते हैं. ठीक वैसे ही विज्ञान और वाणिज्य विषयों के छात्र कला संकाय के विषयों को पढ़ सकते हैं.

एनसीईआरटी ने परीक्षा पैटर्न में बदलाव का प्रस्ताव देते हुए छात्रों, अभिभावकों, शिक्षाविदों और बुद्धिजीवियों से भी सुझाव मांगे हैं. उन्होंने कहा कि परीक्षा पैटर्न में प्रस्तावित बदलाव स्वागत योग्य है. यह छात्रों का बोझ कम करेगा और उन्हें अगले सेमेस्टर में अच्छा प्रदर्शन करने में भी सक्षम बनाएगा.

एनसीएफ क्या है?

एनसीएफ एक तरह का दस्तावेज है, जिसके आधार पर पाठ्यपुस्तकें तैयार की जाती हैं. एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों का मौजूदा सेट एनसीएफ 2005 पर ही आधारित है. 

2005 से पहले एनसीएफ को तीन बार संशोधित किया गया था. तीन में से एक संशोधन अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के तहत भी किया जा चुका है. एनसीएफ में अंतिम संसोधन 2005 में कांग्रेस की सरकार ने किया था.

नया संशोधन सितंबर 2021 से चल रहा था. इसके लिए  स्कूली शिक्षा पर मसौदा ढांचा पहले ही तैयार किया जा चुका है. वहीं एडल्ट एजुकेशन पर अभी भी काम जारी है. 

बता दें कि एनसीएफ को सीबीएसई के अलावा कई राज्य बोर्डों ने अपनाया है. अब एनसीएफ अलग-अलग क्लास के अलग-अलग सब्जेक्ट के पहलुओं का पुनर्गठन करेगा. इसके तहत विषय, शिक्षण का पैटर्न और मूल्यांकन में भी बदलाव किया जाएगा. 

इसके लिए 12 सदस्यीय संचालन समिति में फील्ड्स मेडल विजेता मंजुल भार्गव, 'द लॉस्ट रिवर: ऑन द ट्रेल ऑफ सरस्वती' के लेखक मिशेल दानिनो, जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय की कुलपति नजमा अख्तर और आंध्र प्रदेश केंद्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय के कुलपति टीवी कट्टीमनी शामिल हैं. 

माध्यमिक स्तर पर विषयों और परीक्षाओं में किस तरह के बदलाव की है सिफारिश

एनसीएफ की सबसे महत्वपूर्ण सिफारिशों में नौवीं से बारहवीं कक्षा में विषयों और परीक्षाओं को लेकर बदलाव करना है. इसमें गणित, कंप्यूटिंग, व्यावसायिक शिक्षा, शारीरिक शिक्षा, कला, सामाजिक विज्ञान, विज्ञान और अंतर-अनुशासनात्मक सबजेक्ट में भी बदलाव शामिल है. 

सिफारिशों को अपनाने के बाद कक्षा 9 और 10 के स्ट्रक्चर में भी एक बड़ा बदलाव होगा. इसमें स्टूडेंट्स के लिए 8 पेपर पास करने का नियम बनाया जा सकता है. वर्तमान में CBSE सहित अधिकांश बोर्डों के छात्रों को कक्षा 10 में कम से कम 5 विषयों को पास करना होता है. कक्षा 10 के छात्रों के लिए समिति एक वार्षिक प्रणाली का भी सुझाव दे सकती है.

छात्रों को आठ अलग-अलग करिकुलम से 16 पाठ्यक्रम चुनने का विकल्प दिया जाएगा. वर्तमान में कक्षा 12 में सीबीएसई छात्र कम से कम पांच विषयों और अधिकतम छह विषयों में बोर्ड की परीक्षा देते हैं. 

 छोटे बच्चों के लिए कितना बदलेगा एजुकेशन सिस्टम

3 से 8 साल के बच्चों के पाठ्यपुस्तकों में खिलौने और पहेलियों को शामिल करने की बात कही गई है. इसके अलावा बच्चों को क्लास के बाहर एक्टिविटी कराने पर ज्यादा जोर दिया गया है. सिफारिश में ये कहा गया है कि इससे बच्चों के दिमाग का विकास बेहतर तरीके से होगा. 

ग्रेड III, IV, V में  बच्चों को भाषा और गणित के पाठ्यपुस्तकों को और बेहतर करने की सिफारिश की गई है. वहीं कक्षा VI, VII, VIII में प्राकृतिक और साथ ही सामाजिक विज्ञान पढ़ाए जाने की सिफारिश है. 

मैथ और सोशल साइंस में क्या बदलाव होंगे?

एनसीएफ की ड्राफ्ट सिफारिस में मैथ और सोशल साइंस जैसे सब्जेक्ट को लेकर अभी तक कोई खास बदलाव का जिक्र नहीं है. 12 सदस्यीय संचालन समिति अगर मैथ और सोशल साइंस की पाठ्यपुस्तकों में कोई बदलाव करेगा तो इसके लिए विशेषज्ञों की उप-समितियां काम करेंगी.

समिती का ये कहना है कि गणित को लेकर छात्रों में एक तरह का भय बना रहता है. इसलिए रटकर सीखने की प्रक्रिया को बदलने के लिए एक "मैकेनिकल कम्प्यूटेशन" पर काम किया जाना जरूरी है. 

ये बदलाव कब से लागू होंगे?

सरकार ने हाल ही में घोषणा की थी कि संशोधित एनसीएफ पर आधारित पाठ्यपुस्तकों को 2024-25 शैक्षणिक सत्र से स्कूलों में पढ़ाया जाएगा.  लेकिन अभी तक इसपर कोई समयरेखा पेश नहीं की गई है.

शिक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि एनसीएफ के पूर्व मसौदे पर अभी भी राष्ट्रीय संचालन समिति के भीतर कई दौर की चर्चा की आवश्यकता है. 

एनसीईआरटी में पहले ही हो चुका है बदलाव

हाल ही में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने कक्षा 12वीं की अपनी इतिहास की किताबों से मुगल साम्राज्य से जुड़े पाठ को हटा दिया है. इसके अलावा भी कई बदलाव किए गए हैं. 

एनसीईआरटी ने कक्षा 12 के लिए इतिहास की किताब को 'थीम्स ऑफ इंडियन हिस्ट्री' (भारतीय इतिहास के कुछ विषय) शीर्षक से तीन हिस्सों में प्रकाशित किया है. इसके दूसरे हिस्से के पाठ 9 राजा और इतिहास, मुगल दरबार को अब पुस्तक से हटा दिया गया है.

एनसीईआरटी के प्रमुख दिनेश सकलानी ने मीडिया को ये बताया था कि मुगलों के इतिहास को हटाया नहीं गया है बल्कि छात्रों से पाठ्यक्रम के बोझ को कम करके कुछ हिस्सों को कम किया गया है.

सकलानी ने मीडिया को ये बताया था कि ये पाठ्यक्रम का रेशनलाइजेशन नहीं ये टेक्स्टबुक का रेशनलाइज़ेशन है. हम पिछले साल ही ये साफ कर चुके हैं कि कोविड महामारी की वजह से छात्रों का बहुत नुकसान हुआ. तभी ये महसूस किया गया कि छात्रों पर पाठ्यक्रम के बोझ को कम किया जाए. 

महात्मा गांधी की हत्या करने वाले नथुराम गोडसे के बारे में लिखा वाक्य 'कि वो पुणे के ब्राह्मण थे' भी किताब से हटा दिया गया है. वहीं कक्षा 11 की समाजशास्त्र की किताब से 2002 के गुजरात दंगों से जुड़े तीसरे और अंतिम संदर्भ को भी हटा दिया गया है.

एजुकेशन मिनिस्ट्री के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया था कि नई पाठ्यपुस्तकों को 2024-25 शैक्षणिक सत्र से पेश किए जाने की संभावना है.  यह एक लंबा काम है लेकिन हम इसके लिए लक्ष्य बना रहे हैं. पाठ्य पुस्तकों को नए नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क के मुताबिक संशोधित किया जाएगा.तीन साल से भी कम समय में एनसीईआरटी ने पाठ्यपुस्तक में तीसरी बार बदलाव की घोषणा की है. 

डिजिटल फॉर्मेट में उपलब्ध होंगी एनसीईआरटी की किताबें 

बदलाव के बाद राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की पाठ्यपुस्तकें डिजिटल फॉर्मेट में भी उपलब्ध होंग.  एजुकेशन मिनिस्ट्री के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मीडिया को ये बताया था कि कोविड-19 ने हमें सिखाया है कि डिजिटल लर्निंग कितनी जरूरी है.

बदलावों का हो चुका है विरोध

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान, केरल और पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री इन बदलावों का कड़ा विरोध कर चुके हैं. वहीं आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा और तमिलनाडु के शिक्षा मंत्रियों ने कहा कि राज्य में इन बदलावों को लागू करने से पहले इनकी गहन समीक्षा की जाएगी.

उत्तर प्रदेश  की सरकार ने इन बदलावों का समर्थन किया है. यूपी की शिक्षा मंत्री गुलाब देवी ने बीबीसी को बताया था कि ये काम नई शिक्षा नीति के आधार किया जा रहा है, एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम बदलेगा नहीं, हमारी तरफ से कोई बदलाव नहीं है.

बता दें कि यूपी के सरकारी स्कूलों में सितंबर में एनसीईआरटी पुस्तक का आठवां अध्याय पढ़ाया जाएगा. इस अध्याय में मुगल साम्राज्य के दौरान भारत के कृषि समाज का ज़िक्र है. हालांकि अध्याय 9 जो पूरी तरह मुग़लों पर है, वो पाठ्यक्रम की मासिक समय सारिणी से ग़ायब है. यानी यूपी के सरकारी  स्कूलों में इस शैक्षणिक वर्ष नई किताब पढ़ाई जाएगी.

एनसीईआरटी क्या है

एनसीईआरटी का मतलब राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद है.  इसे शिक्षा मंत्रालय की तरफ से 1961 में एक स्वायत्त निकाय के रूप में स्थापित एक शैक्षिक संगठन के रूप में किया गया था. ये निकाय भारत सरकार के तहत आता है. इसका मुख्यालय नई दिल्ली, भारत में है. एनसीईआरटी में देश के सर्वश्रेष्ठ शिक्षाविद और विद्वान शामिल हैं.

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