नई दिल्ली: 5 अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर भूमि पूजन के कार्यक्रम को लेकर एनसीपी ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को सलाह दी है कि वो सेक्युलर होने के नाते अयोध्या ना जाएं. वहीं बीजेपी ने उद्धव को सत्ता के लिए भगवान राम की भक्ति भूलने का आरोप लगाया है. राम मंदिर भूमि पूजन पर एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने कहा था की राम मंदिर भूमि पूजन से कोरोना खत्म नहीं होगा.


एनसीपी के नेता और एडवोकेट माजिद मेमन ने कहा की शरद पवार के बयान पर राजनीति हो रही है. शरद पवार का मानना है कि आज महामारी की लड़ाई चल रही है. अभी यह लड़ाई खत्म नहीं हुई है. ऐसे समय भूमि पूजन स्थगित किया गया होता और बाद में किया जाता, वो बेहतर था.


माजिद मेमन ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत में कहा है कि मैंने निजी तौर पर ट्वीट किया. कोविड कि लड़ाई पहली प्राथमिकता होनी चाहिए, आर्थिक स्थिति में सुधार की जरूरत है. करोड़ों लोग बेरोजगार हुए हैं. इस पर ध्यान देते हुए आर्थिक व्यवस्था पटरी पर लाई जाए.


मजीद मेमन ने उद्धव ठाकरे को अयोध्या ना जाने की सलाह मुद्दे पर कहा, "उद्धव ठाकरे हमारे सहयोगी दल के नेता और हमारे मुख्यमंत्री हैं. धार्मिक तौर पर भूमिपूजन में जाने का अधिकार है. मैंने कहा कि किसी भी सेक्युलर, डेमोक्रेटिक हेड को धार्मिक कार्यक्रम में नहीं जाना चाहिए." मजीद मेमन ने यह संदेश ट्वीट कर दिया था हालांकि एबीपी न्यूज़ से बातचीत में मेमन ने कहा कि ट्वीट पीएम मोदी के संदर्भ में था.


शिवसेना विधायक प्रताप सरनाईक ने कहा कि 5 अगस्त के दिन अयोध्या में श्री राम मंदिर का भूमि पूजन है. जहां शिवसेना के कार्याध्यक्ष उद्धव ठाकरे को अतिथि के तौर पर बुलाया जाए, ऐसी मांग अब शिवसेना ने उठाई है. शिवसेना विधायक प्रताप सरनाईक ने दावा किया कि अयोध्या की विवादित भूमि पर भगवान श्री राम का मंदिर बने इसके लिए शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे ने जीवन भर प्रयास किया. अब जब उनका यह सपना साकार हो रहा है तो, वहां शिवसेना के कार्याध्यक्ष उद्धव ठाकरे को अतिथि के तौर पर श्री राम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट द्वारा बुलाया जाना चाहिए. इस उपक्रम को राजनीति से दूर रखा जाना चाहिए.


राम मंदिर मुद्दे पर एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने राम मंदिर भूमि पूजन पर सवाल उठाने और शिवसेना के भूमि पूजन के न्योते के इंतजार के मुद्दे पर बीजेपी विधायक व प्रवक्ता राम कदम ने कहा कि शिवसेना सत्ता और कुर्सी की लालच में भगवान राम की भक्ति भी भूल गई है. भगवान राम करोड़ों भक्तों के आस्था के प्रतीक हैं और इस पर राजनीति किसी भी तरह से नहीं होनी चाहिए.


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