(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
'आपने जो काम देश के लिए किया...', पीएम मोदी को तिलक पुरस्कार देते हुए बोले एनसीपी प्रमुख शरद पवार
Sharad Pawar: पीएम मोदी को मंगलवार (1 अगस्त) को पुणे में एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने तिलक पुरस्कार से सम्मानित किया. इस दौरान चाचा से अलग होकर एनडीए का दामन थामने वाले अजित पवार भी मौजूद थे.
PM In Pune: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आज यानी मंगलवार (1 अगस्त) को पुणे में एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने तिलक पुरस्कार से सम्मानित किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि आपने जो काम देश के लिए किया, उसके लिए हम आज आपको सम्मानित कर रहे हैं.
एनसीपी चीफ शरद पवार ने कहा कि इससे पहले इस पुरस्कार से पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेई, डॉ मनमोहन सिंह, शंकर दयाल शर्मा, इंदिरा गांधी को भी नवाजा गया है. उन्होंने कहा आज इस लिस्ट में पीएम मोदी का भी नाम शामिल हो रहा है, इसलिए मैं उनको दिल की गहराइयों से बधाई देता हूं.
'पहली सर्जिकल स्ट्राइक शिवाजी ने की थी'
शरद पवार बोले, देश की पहली सर्जिकल स्ट्राइक छत्रपति शिवाजी महाराज ने की थी. उन्होंने कहा कि बाल गंगाधर तिलक ने पुणे में रहते हुए केसरी अखबार शुरू किया था. उनकी हमेशा से यही सोच रहती थी कि पत्रकारों पर किसी भी तरह का कोई दबाव नहीं होना चाहिए. शरद पवार ने ये भी कहा कि गणेश उत्सव, शिवाजी जयंती जैसे उत्सव मनाने की शुरुआत भी बाल गंगाधर तिलक के नेतृत्व में ही शुरू हुई.
विपक्षी दलों के मना करने के बावजूद कार्यक्रम में शामिल हुए थे पवार
महाराष्ट्र में बीते दिनों सियासी घटनाक्रम तब 360 डिग्री घूम गया जब एनसीपी के नेता अजित पवार ने पार्टी के बड़े नेताओं के साथ मिलकर एनडीए का दामन थाम लिया था. इसी दौरान दूसरी तरफ बीजेपी की बढ़ती ताकत को देखते हुए विपक्षी दल ने एक संयुक्त गठबंधन इंडिया का निर्माण किया. उसके बाद यह पहला मौका था जब पीएम मोदी और शरद पवार एक दूसरे से मिल रहे थे.
इस गठबंधन ने शरद पवार को मोदी के साथ मंच साझा करने से मना भी किया था. विपक्षी दलों के इस सुझाव को मानने से पवार ने इंकार कर दिया. इंडिया के सदस्यों कहना था कि ऐसे वक्त में जब बीजेपी के खिलाफ एकजुट होकर एक मोर्चा बनाया जा रहा है तो पवार का इस कार्यक्रम में शामिल होना विपक्ष के लिए अच्छा नहीं होगा.
पवार ने उन सांसदों से मुलाकात नहीं की थी जो उनको इस समारोह में शामिल नहीं होने के लिए मनाना चाहते थे. लोकमान्य तिलक की विरासत का सम्मान करने के लिए 1983 में तिलक स्मारक मंदिर ट्रस्ट द्वारा इस पुरस्कार की शुरुआत की गई थी. यह पुरस्कार हर साल एक अगस्त को लोकमान्य तिलक की पुण्यतिथि पर दिया जाता है.
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