Patra Chawl Scam: महाराष्ट्र के राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार ने बुधवार को केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि विपक्षी दलों के नेताओं के खिलाफ मामले दर्ज कराना और उन्हें गिरफ्तार करवाना ही केंद्र सरकार की सबसे प्रमुख परियोजना है. बता दें कि कल बीजेपी के एक नेता ने 'पात्रा चॉल पुनर्विकास' मामले में शरद पवार के खिलाफ जांच करने की बात कही थी.



NCP के नेताओं ने बीजेपी के इस आरोप को निराधार करार दिया था और बीजेपी से माफी मांगने की भी बात कही थी. मीडिया से बात करते हुए पवार ने कहा कि , ‘‘अगर आप आज का समाचार पत्र देखेंगे तो उसमें केंद्रीय जांच एजेंसियों का विपक्षी पार्टियों के नेताओं के खिलाफ दमन की कई कहानियां छपी मिलेंगी. उन्होंने कहा कि कैसे केंद्र सरकार एजेंसियों का गलत इस्तेमाल करके विपक्षी दलों के नेताओं को लगातार निशाना बना रही है. आप यह भी देख सकते हैं कि कितनी तेजी से उनके खिलाफ मामलों में कार्रवाई की गई है. मानों ऐसा लगता है कि विपक्षी दलों के नेताओं के खिलाफ मामले दर्ज कराना और उन्हें गिरफ्तार करवाना ही केंद्र सरकार की प्रमुख परियोजना है.’’



राजनीतिक तरीके से देंगे जवाब


उन्होंने कहा ‘‘जब भी केंद्र सरकार को आगामी राज्यों में होने वाले चुनाव के नतीजों को लेकर संदेह होता है, तो वह इस प्रकार के कदम उठाती हैं. इससे समाज के सामने मौजूद चुनौतियां और जनता से जुड़े मुद्दे खुद दरकिनार हो जाते हैं". NCP के प्रमुख पवार ने कहा, ‘‘ हम इसका राजनीतिक तरीके से जवाब देंगे.’’


संजय राउत भी हैं आरोपी 

पात्रा चॉल के पुनर्विकास से जुड़े धनशोधन के मामले में प्रमुख गवाह ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) से कथित तौर पर कहा है कि साल  2008-09 में इलाके के कुछ निवासियों ने पात्रा चॉल के पुनर्विकास के लिए स्थानीय राजनेताओं के मदद से NCP प्रमुख शरद पवार से संपर्क किया था. इसी  मामले में शिवसेना के राज्यसभा सदस्य संजय राउत भी आरोपी बनाए गए हैं. इस मामले की जांच भी ईडी कर रही है.


पहले भी मिला है नोटिस 

गवाह ने ईडी से कहा कि विभिन्न बैठकों के बाद संजय राउत, प्रवीण राउत ने हाउसिंग डेवलपमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड( HDIL) कंपनी के राकेश वधावन को  परियोजना का काम संभालने के लिए दिया गया था. ईडी ने मामले में एक आरोपपत्र दायर किया था, जिसमें जांच एजेंसी ने 2019 विधानसभा चुनाव से पहले भी  पवार को एक नोटिस  जारी किया था, लेकिन एजेंसी ने बाद में कहा था कि शरद पवार को इस जांच में शामिल होने की जरूरत नहीं है.

 

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