महाराष्ट्र में उसी की बनेगी सरकार जिस करवट बैठेंगे शरद पवार
नई दिल्ली में एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर कई तरह की अटकलों को हवा दी. हालांकि एनसीपी नेताओं का कहना है कि पवार ने महाराष्ट्र के किसानों के मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी से मिले हैं.
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मुंबई: महाराष्ट्र में सरकार का पेंच करीब महीने भर बाद भी अब तक फंसा हुआ है. अभी तक यह साफ नहीं है कि महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी के समर्थन से शिवसेना की सरकार बनेगी या फिर शरद पवार बीजेपी के साथ मिलकर कोई खेल करने वाले हैं. हालांकि महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान दोनों ही पार्टियां अपना अपना सीएम बनाने का दावा कर रही थीं.
एक ओर देवेंद्र फडणवीस कह रहे थे कि मैं ही फिर से सीएम बनूंगा तो वहीं दूसरी ओर उद्धव ठाकरे कह रहे थे कि मैं किसी शिवसैनिक को सीएम बनाऊंगा. इस बात को शरद पवार बड़ी ही बारीकी से देख रहे थे और उन्होंने भांप लिया कि अगर यह गठबंधन बहुमत में आता है तब भी सीएम पद को लेकर दोनों ही पार्टियों में झगड़ा होगा. नतीजे आने के बाद हुआ भी वैसा ही. सीएम पद को लेकर बाद फंस गई. शिवसेना ढ़ाई साल के लिये सीएम पद को लेकर अड़ गई.
शरद पवार ने इस मौके को भुनाने में देरी नहीं की. एनसीपी के प्रवक्ता नवाब मलिक के ज़रिए शिवसेना को संदेश दिया गया कि अगर वो चाहे तो महाराष्ट्र में एनसीपी की मदद से वो सरकार बना सकती है और इसके लिए कांग्रेस को मना लिया जाएगा.
288 की विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 145 है. ऐसे में 56 सीटों वाली शिवसेना 54 सीटों वाली एनसीपी और 44 सीटों वाली कांग्रेस की मदद से वो सरकार बना सकती है. पवार ने शिवसेना नेता संजय राउत को कई बार अपने पास मिलने के लिये बुलाया और घुट्टी पिलाई कि एनसीपी महाराष्ट्र में शिवसेना का सीएम बनवाएगी.
शरद पवार से मिले इसी भरोसे के बल पर ही शिवसेना ने बीजेपी के प्रति आक्रामक तेवर अपनाया और बीजेपी से सरकार बनाने को लेकर किसी भी तरह की बातचीत बंद कर दी. एनसीपी के कहने पर ही शिवसेना ने खुद को NDA से बाहर कर लिया और मोदी कैबिनेट में अपने एकमात्र मंत्री अरविंद सावंत का इस्तीफा दिलवा दिया.
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सूत्र बताते हैं कि एनसीपी तो शिवसेना के साथ सरकार बनाने को तैयार है लेकिन पेंच कांग्रेस की ओर से फंसा हुआ है. महाराष्ट्र में कांग्रेस के विधायक चाहते हैं कि शिवसेना के साथ सरकार बनाई जाए लेकिन पार्टी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता है कि शिव सेना की कट्टर हिन्दू विचारधारा की वजह से उसे दूसरे राज्यों में नुकसान हो सकता है.
इस बीच शिवसेना की धड़कनें उस वक्त तेज़ हो गईं जब पीएम मोदी ने संसद में अनुशासन को लेकर एनसीपी की तारीफ की. पवार की मंगलवार को बीजेपी सांसदों के साथ मुलाकात की तस्वीरों ने इस चर्चा को बल दिया कि क्या शरद पवार अब कुछ नई खिचडी पकाने वाले हैं.
बुधवार को पीएम मोदी और पवार की मुलाकात भी कांग्रेस और शिवसेना के मन में संदेह पैदा कर रही है. सियासी गलियारों में अब ऐसी भी सुगबुगाहट होने लगी है कि क्या महाराष्ट्र में बीजेपी और एनसीपी की गठजोड़ वाली सरकार आ सकती है?
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अगर गठजोड नहीं भी होता है तो क्या बीजेपी, एनसीपी की मदद से राज्य में सरकार बना लेगी? 2014 में भी तो ऐसा ही हुआ था. उस वक्त बीजेपी के साथ शिवसेना नहीं थी. 122 सीटें पाकर अल्पमत में होने के बावजूद तब बीजेपी ने सरकार बना ली थी क्योंकि शरद पवार ने इशारों में बीजेपी को समर्थन दे दिया था. अब महाराष्ट्र में नई सरकार इस बात पर निर्भर करती है कि पवार किस करवट बैठते हैं.
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