NCP Crisis: एनसीपी पर अजित पवार के दावे की याचिका क्यों होनी चाहिए खारिज? चुनाव आयोग को शरद पवार खेमे ने बताई वजह
Maharashtra NCP Crisis: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के दो गुटों में बंटने के बाद अजित पवार ने पार्टी सिंबल पर दावा ठोका दिया. अब शरद पवार गुट ने चुनाव आयोग को अपना तर्क दिया है.
NCP Election Symbol: महाराष्ट्र में अजित पवार की बगावत के बाद दो खेमों में बंटी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के बीच विवाद थमता नहीं दिख रहा है. अजित पवार ने चुनाव आयोग में पार्टी सिंबल का दावा ठोका है. इन सब के बीच शरद पवार खेमे ने चुनाव आयोग से कहा है कि अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के चुनाव चिन्ह की मांग "समय से पहले" और "दुर्भावनापूर्ण" है और इसे खारिज कर दिया जाना चाहिए.
इसके पीछे उन्होंने तर्क दिया है कि चुनाव आयोग में अजित पवार की याचिका उस समय दाखिल की गई जब एनसीपी के दो गुट में बंटने के सबूत भी नहीं थे. अजित पवार और उनके वफादार विधायकों ने पिछले महीने महाराष्ट्र में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन से हाथ मिलाया और मंत्री पद की शपथ ली थी.
एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना गुट की तरह वो भी दावा करते हैं कि वे असली एनसीपी हैं, क्योंकि उन्हें पार्टी के अधिकांश विधायकों का समर्थन प्राप्त है. उनके नेतृत्व वाले गुट ने पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न पर दावा करते हुए चुनाव आयोग से संपर्क किया है.
अजित पवार गुट ने चुनाव आयोग को क्या बताया?
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने चुनाव आयोग को बताया है कि अजित पवार को 30 जून, 2023 के एक प्रस्ताव के माध्यम से एनसीपी का प्रमुख चुना गया था, जिस पर पार्टी सदस्यों के "भारी बहुमत" के साथ हस्ताक्षर किए गए थे.
शरद पवार गुट ने क्या तर्क दिया?
शरद पवार गुट ने तर्क देते हुए कहा, “अजित पवार पहली नजर में ये दर्शाने में भी सक्षम नहीं हैं कि एनसीपी में कोई विवाद मौजूद है. ईसीआई ने भी प्रथम दृष्टया यह निर्धारित नहीं किया है कि उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी और पूर्व एनसीपी के सदस्य (अजित पवार के नेतृत्व में) के बीच कोई विवाद मौजूद है."
विरोध जताते हुए आगे कहा गया, "01.07.2023 से पहले, न तो अजीत पवार ने शरद पवार/एनसीपी के खिलाफ कोई शिकायत दर्ज कराई और न ही उन्होंने शरद पवार या एनसीपी के किसी अन्य नेता के साथ बैठक के लिए अनुरोध किया...'याचिका' दाखिल करने की तारीख (1.7.2023) के अनुसार एनसीपी के दो गुटों की उपस्थिति प्रतिबिंबित या साक्ष्य नहीं है.''
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