Ajit Pawar: 'रिकॉर्ड समय में बना और...', नई संसद की तारीफ में बोले अजित पवार, जानें कब-कब रहा है NCP नेता का MVA से अलग रुख
Maharashtra Politics: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) नेता अजित पवार ने एक बार फिर पार्टी और गठबंधन (MVA) से अलग प्रतिक्रिया दी है. पहले भी कई बार वह अलग रुख अपना चुके हैं.

Ajit Pawar Remarks: एनसीपी नेता और महाराष्ट्र की विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजित पवार ने एकबार फिर अपनी पार्टी और गठबंधन (महाविकास अघाड़ी) की लाइन से हटकर बयान दिया है. एक तरफ संसद के नए भवन के उद्घाटन का एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने विरोध किया, साथ ही शिवसेना (यूबीटी) और कांग्रेस ने भी बहिष्कार किया तो वहीं अगले दिन (29 मई) को अजित पवार ने अलग राय व्यक्त की.
अजित पवार ने कहा, ''देश की आबादी को ध्यान में रखते हुए जोकि 135 करोड़ पार कर रही है, उसका प्रतिनिधित्व करने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ेगी. इसलिए मैं व्यक्तिगत तौर पर महसूस करता हूं कि संसद के इस नए भवन की जरूरत थी. कोरानाकाल के दौरान यह रिकॉर्ड समय में बना. अब इस नए भवन में सभी को संविधान के अनुसार काम करना चाहिए और आम लोगों की समस्याओं का समाधान करना चाहिए. सभी को इसमें शामिल होना चाहिए.''
Keeping the population of the country in mind which is crossing 135 crores, the people representing them will also increase. So I personally feel this new Parliament building was needed. It was built in record time even during the COVID period. Now in this new building, everyone… pic.twitter.com/bu8LK4fxhu
— ANI (@ANI) May 29, 2023
'शिंदे को नैतिक आधार पर इस्तीफा देने की जरूरत नहीं'
गौरतलब है कि 11 मई को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार को अयोग्य नहीं किया जा सकता है. कोर्ट ने विधायकों की अयोग्यता का मामला विधानसभा अध्यक्ष पर छोड़ दिया था, साथ ही शीर्ष न्यायालय ने इस आधार पर उद्धव ठाकरे को सीएम पद पर बहाल करने की ठाकरे गुट की याचिका को खारिज कर दिया था कि क्यों उन्होंने (उद्धव) फ्लोर टेस्ट का सामना किए बिना ही अपनी मर्जी से पद से इस्तीफा दे दिया था.
इसके बाद शिवसेना (यूबीटी) ने नैतिक आधार पर एकनाथ शिंद से सीएम पद से इस्तीफा मांगा था. इस पर अजित पवार ने गठबंधन में उनकी सहयोगी शिवसेना (यूबीटी) से अलग राय जाहिर की थी और कहा था कि शिंदे को नैतिक आधार पर इस्तीफा देने की कोई जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा था कि वह जानते हैं कि शिंदे सपने में भी इस्तीफा नहीं देंगे.
शिंदे सरकार के नहीं गिरने का किया था दावा
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद शिवसेना (यूबीटी) के एक प्रतिनिधिमंडल ने महाराष्ट्र विधानसभा के डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल और विधानसभा सचिव जितेंद्र भोले को 79 पन्नों का एक पत्र सौंपा था, जिसमें शिंदे खेमे के 16 विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग की गई और कार्रवाई में तेजी लाने का भी आग्रह किया गया था. इस पर 15 मई को अजित पवार ने गठबंधन की लाइन से हटकर प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि शिंदे सरकार को कोई खतरा नहीं है. उन्होंने दावा किया था कि 16 विधायकों को अयोग्य घोषित कर भी दिया गया तो भी शिंदे सरकार नहीं गिरेगी. उन्होंने कहा था कि इतने विधायकों की अयोग्यता के बाद भी विधानसभा में सरकार बहुमत का आंकड़ा नहीं खोएगी.
शरद पवार के इस्तीफे का किया था स्वागत
पिछले दिनों शरद पवार ने अचानक एनसीपी प्रमुख के पद से इस्तीफा देने की घोषणा कर दी थी. जिसके बाद एनसीपी के कई दिग्गज नेता और कार्यकर्ताओं ने इस्तीफा वापस लेने की मांग करते हुए प्रदर्शन किया था. चाचा पवार के इस्तीफे की घोषणा के तुरंत बाद अजित पवार ने कहा था कि शरद पवार अपना फैसला वापस नहीं लेंगे. इसी के साथ ही उन्होंने कार्यकर्ताओं से चिंता न करने की अपील की थी और कहा था कि जो भी नया अध्यक्ष होगा, वह उसके साथ होंगे. उन्होंने कहा था कि समिति का फैसला माना जाएगा. हालांकि, पार्टी कार्यकर्ताओं की हठ के आगे शरद पवार को अपना इस्तीफे का फैसला बदलना पड़ा था.
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