मुंबई: महाराष्ट्र सदन घोटाले में एनसीपी नेता और मंत्री छगन भुजबल को बरी कर दिया गया है. भुजबल ने एसीबी स्पेशल कोर्ट में अर्जी दाखिल कर बरी करने की मांग की थी. छगन भुजबल के साथ उनके बेटे पंकज और भतीजे समीर भुजबल समेत पांच आरोपियों को भी दोष मुक्त करार कर दिया है.


2015 में भुजबल और 16 अन्य के खिलाफ एसीबी द्वारा एक मामला दर्ज किया गया था जिसमें आरोप लगाया गया था कि आरटीओ कार्यालय के जमीन पर एक परियोजना के लिए एक डेवलपर फर्म को फायदा पहुंचाया गया था. भुजबल 2004 से 2014 तक पीडब्ल्यूडी मंत्री थे. दिल्ली में महाराष्ट्र सदन और मुंबई के ताड़देव में आरटीओ भवन के निर्माण के बदले विकासकर्ता को परियोजना दी जाने का आरोप था. पिछले महीने फर्म से जुड़े लोगों को अदालत ने बरी कर दिया था.


सरकार को इससे कोई नुकसान नहीं पहुंचा है- भुजबल


भुजबल का दावा किया था कि उन्होंने किसी को फायदा नहीं पहुंचाया और सरकार को इससे कोई नुकसान नहीं पहुंचा है. डेवलपर ने को प्रोजेक्ट दिलवाने में उनका कोई रोल नहीं है. बल्कि ये प्रोजेक्ट 1998 में ही कैबिनेट इंफ्रास्ट्रक्चर कमिटी से मंजूर कर दिया गया था.


सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं- भुजबल


आज कोर्ट से बरी होने के बाद भुजबल ने कहा कि, "कुछ लोगों की तरफ से उन्हें और उनके परिवार के खिलाफ षड्यंत्र रचते हुए जानबूझकर फसाया गया. जिसमें उन्हें और उनके भतीजे को दो साल तक जेल भी जाना पड़ा. लेकिन आज वो किसी के बारे में मन में द्वेषभावना नहीं रखना चाहते. सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं."


लोअर कोर्ट के फ़ैसले के बाद सामाजिक कार्यकर्ता अंजली दमानिया न ट्वीट कर जानकारी देते हुए कहां कि वे कोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ बॉम्बे हाई कोर्ट में अपील करेगी.


यह भी पढ़ें.


बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी की BSP से हो सकती है छुट्टी, यूपी चुनाव में टिकट नहीं देगी पार्टी


Dengue in UP: डेंगू और वायरल बुखार से हुई मौतों पर मायावती ने जताई चिंता, बोंलीं- ध्यान दे योगी सरकार