Supreme Court: अयोग्यता के खिलाफ सांसद की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का सवाल- इसमें कौन सा मौलिक अधिकार प्रभावित हो रहा है?
Mohammed Faizal: हत्या के प्रयास केस में दोष पर रोक के बावजूद लोकसभा सचिवालय ने मोहम्मद फैजल की अयोग्यता का आदेश वापस नहीं लिया है.
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Supreme Court Mohammed Faizal Hearing: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता मोहम्मद फैजल की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई बुधवार (29 मार्च) के लिए टल गई. सुप्रीम कोर्ट ने मोहम्मद फैजल से मंगलवार (28 मार्च) को सवाल किया कि आपने हाई कोर्ट में याचिका क्यों नहीं दाखिल की? कौन से मौलिक अधिकार का उल्लंघन हुआ है. न्यायमूर्ति के एम जोसेफ और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने राकांपा नेता की ओर से पेश वकील से ये सवाल तब किया जब उन्होंने मामले का उल्लेख करते हुए इस पर बुधवार को सुनवाई करने का अनुरोध किया.
फैजल ने केरल हाई कोर्ट की ओर से हत्या के प्रयास के एक मामले में उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगाये जाने के बावजूद उन्हें सांसद के रूप में अयोग्य घोषित करने वाली अधिसूचना वापस नहीं लेने के लिए लोकसभा सचिवालय के खिलाफ याचिका दायर की है. सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने मंगलवार को राकांपा नेता मोहम्मद फैजल के वकील से पूछा, "वह कौन सा मौलिक अधिकार है जिसका उल्लंघन हुआ है?"
"हाई कोर्ट का रुख क्यों नहीं किया"
वकील ने कहा कि राकांपा नेता का निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने का अधिकार छीना गया है. उन्होंने कहा कि कार्रवाई पूरी तरह मनमानी है. पीठ ने उनसे पूछा कि उन्होंने हाई कोर्ट का रुख क्यों नहीं किया. इस पर वकील ने जवाब दिया कि मामला पहले से ही शीर्ष अदालत में लंबित है. इसके बाद पीठ बुधवार को मामले की सुनवाई के लिए राजी हो गई.
लोकसभा ने सदस्यता से अयोग्य घोषित किया था
इससे पहले लक्षद्वीप के पूर्व सांसद की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी ने कहा था कि दोषसिद्धि और सजा पर हाई कोर्ट की ओर से रोक लगाए जाने के बावजूद व्यक्ति को सांसद के रूप में बहाल नहीं किया गया है. लोकसभा सचिवालय की ओर से 13 जनवरी को जारी एक अधिसूचना के अनुसार, कवारत्ती में एक सत्र अदालत की ओर से हत्या के प्रयास के एक मामले में दोषी ठहराए जाने की तारीख 11 जनवरी से फैजल लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य हैं.
अधिवक्ता के आर शशिप्रभु के माध्यम से शीर्ष अदालत में दायर अपनी याचिका में फैजल ने कहा कि लोकसभा सचिवालय इस तथ्य के बावजूद अधिसूचना वापस लेने में असफल रहा कि हाई कोर्ट ने 25 जनवरी को उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगा दी थी.
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