चुनाव आयोग के फैसले ने बिगाड़ा शरद पवार का 'वक्त', अजित पवार की हुई NCP और घड़ी, सुप्रिया सुले बोलीं- सुप्रीम कोर्ट जाएंगे
NCP Party Crisis: चुनाव आयोग ने शरद पवार गुट को नए सियासी दल का नाम चुनने के लिए 3 विकल्प देने को कहा. EC की ओर से दी गई इस रियायत का इस्तेमाल 7 फरवरी, 2024 को दोपहर 3 बजे तक किया जा सकता है.
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NCP Symbol Name Row: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) पर किसका हक होगा? महाराष्ट्र की सियासत में गूंज रहे इस सबसे बड़े सवाल पर चुनाव आयोग का फैसला आ गया है. केंद्रीय चुनाव आयोग ने मंगलवार (6 फरवरी) को एनसीपी के अजित पवार गुट के पक्ष में फैसला सुनाकर पार्टी अध्यक्ष शरद पवार को बड़ा झटका दे दिया.
लोकसभा चुनाव 2024 से पहले महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम और एनसीपी नेता अजित पवार और शरद पवार के बीच पार्टी को लेकर चल रही खींचतान पर फिलहाल ब्रेक लग गया है. चुनाव आयोग ने इस मामले पर 6 महीने से ज्यादा समय लिया और 10 से ज्यादा सुनवाई कीं.ॉ
क्या होगा शरद पवार का अगला कदम?
अजित पवार को एनसीपी का नाम और चुनाव चिन्ह मिलने पर शरद पवार की बेटी और सांसद सुप्रिया सुले ने अपने अगले कदम का खुलासा किया है. उन्होंने कहा कि हम चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे. उन्होंने कहा कि अमिताभ बच्चन, अमिताभ बच्चन है और हमारा अमिताभ बच्चन शरद पवार हैं.
उन्होंने कहा, ''मुझे लगता है कि जो शिवसेना के साथ हुआ, वही आज हमारे साथ हो रहा है, इसलिए यह कोई नया आदेश नहीं है. बस नाम हैं, बदल दिए गए हैं, लेकिन सामग्री वही है.'' उन्होंने कहा कि इलेक्शन कमीशन का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है, एनसीपी ही शरद पवार है.
चुनाव आयोग के फैसले की बड़ी बातें
- चुनाव आयोग के इस फैसले के बाद एनसीपी और उसके घड़ी चुनाव चिन्ह पर अजित पवार गुट का हक होगा. शरद पवार गुट को अपने लिए नई पार्टी और चुनाव चिन्ह इस्तेमाल करना होगा.
- केंद्रीय चुनाव आयोग की ओर से शरद पवार गुट को नए सियासी दल का नाम चुनने के लिए 3 विकल्प देने को कहा है. चुनाव आयोग की ओर से दी गई इस रियायत का इस्तेमाल 7 फरवरी, 2024 को दोपहर 3 बजे तक किया जा सकता है. शरद पवार गुट को इससे पहले चुनाव आयोग में नई पार्टी के नाम को लेकर तीन विकल्प देने होंगे.
- इस फैसले में याचिका के रखरखाव के निर्धारित परीक्षणों का पालन किया गया, जिसमें पार्टी संविधान के लक्ष्यों और उद्देश्यों का परीक्षण, पार्टी संविधान का परीक्षण और संगठनात्मक और विधायी दोनों बहुमत के परीक्षण शामिल थे.
- जानकारी के अनुसार, चुनाव आयोग के फैसले में कहा गया है कि अजित पवार गुट को संगठनात्मक बहुमत मिला है. वहीं, शरद पवार गुट बहुमत साबित करने में कामयाब नहीं हो सके.
- मामले की इस परिस्थिति में विधायी विंग में बहुमत के परीक्षण को समर्थन मिला, जहां दोनों समूहों को पार्टी संविधान और संगठनात्मक चुनावों के बाहर काम करते हुए पाया गया है. पद पर रहने वालों को निर्वाचक मंडल के स्व-नामांकित सदस्यों की ओर से नियुक्त किया गया और यह पार्टी के आंतरिक लोकतंत्र के खिलाफ माना गया.
- संगठनात्मक बहुमत होने के दावे के समर्थन में शरद पवार गुट समयसीमा के भीतर गंभीर विसंगतियों से दो-चार हुआ, जिससे उनका दावा अविश्वसनीय हो गया.
- महाराष्ट्र की 6 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव को देखते हुए शरद पवार गुट को चुनाव संचालन नियम 1961 के नियम 39एए का पालन करने के लिए विशेष रियायत दी गई है.
- चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक दलों को आंतरिक चुनावों और निर्वाचित/नामांकित सदस्यों में अपनाई जाने वाली प्रक्रिया को अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करने की सलाह दी है.
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