NCP Crisis: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) पर दावे को लेकर शुक्रवार (6 अक्टूबर) को चुनाव आयोग में सुनवाई हुई. इस दौरान एनसीपी चीफ शरद पवार भी मौजूद रहे. वहीं अजित पवार की ओर से उनके वकील निर्वाचन आयोग के समक्ष पेश हुए. बड़ी बातें- 


1. चुनाव आयोग में सुनवाई के दौरान शरद पवार के साथ जितेंद्र आव्हाड और वंदना चव्हाण भी शामिल रहे. पवार का पक्ष उनके वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने रखा. सिंघवी ने कहा कि अजित पवार के दावे सही नहीं हैं. उन्होंने कहा कि अजित पवार ने गलत और फर्जी दस्तावेज दिए हैं. ऐसे में इसे माना नहीं जाएगा. 


2. सिंघवी ने कहा कि सुनवाई के पहले भाग में शरद पवार खेमे ने आपत्तियां उठाईं, जिसमें उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग एक प्रारंभिक मुद्दे के रूप में यह निर्धारित करने के लिए बाध्य है कि कोई विवाद है या नहीं. उन्होंने कहा, ''आपका अधिकार क्षेत्र इस पर निर्भर करता है कि कोई विवाद है या नहीं. ''


3. न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, शरद पवार के साथ मौजूद अव्हाड ने कहा, ''यह दुखद है कि जिस व्यक्ति ने उन्हें पाला-पोसा और उनका विकास सुनिश्चित किया, उन्हें ऐसी चीजों का सामना करना पड़ रहा है.’’ अव्हाड ने कहा कि विरोधी गुट के वकीलों ने दावा किया कि शरद पवार ने एनसीपी के कामकाज में कभी भी लोकतांत्रिक सिद्धांतों का पालन नहीं किया और हमेशा “तानाशाह की तरह व्यवहार किया.''


4. चुनाव आयोग में अजित पवार की ओर से वरिष्ठ वकील एनके कौल और मनिंदर सिंह मौजूद रहे. अजित पवार ने अपनी दलीलों में कहा, ''महाराष्ट्र में एनसीपी के 53 में से 42 विधायकों, नौ में से छह विधान परिषद सदस्यों, नागालैंड से सभी 7 विधायकों, लोकसभा और  राज्यसभा के एक-एक सदस्य का समर्थन प्राप्त है.'' 


5. अजित पवार ने आगे अपनी दलील में कहा, ‘‘इन परिस्थितियों में याचिकाकर्ता का कहना है कि उसे एनसीपी की संगठनात्मक इकाई के साथ-साथ विधायी इकाई में भी भारी समर्थन प्राप्त है. इस कारण आयोग याचिकाकर्ता के नेतृत्व वाले गुट को असली पार्टी की मान्यता देकर वर्तमान याचिका को अनुमति दी जा सकती है.’’


6. चुनाव आयोग एनसीपी और सिंबल पर दावे को लेकर सोमवार (9 अक्टूबर) को अगली सुनवाई करेगा. न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, अजित पवार गुट इसमें अपना पक्ष रख सकता है.  


7. अजित पवार ने 30 जून को निर्वाचन आयोग से संपर्क कर पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न पर दावा किया था. बता दें कि एनसीपी का सिंबल घड़ी है. बाद में 40 विधायकों के समर्थन के साथ खुद को पार्टी अध्यक्ष भी बता दिया था. पवार फिर बीजेपी और एकनाथ शिंदे की नेतृत्व वाली सरकार में शामिल हो गए. 


8. शरद पवार बार-बार कहते रहे हैं कि एनसीपी कुछ लोगों ने निजी इच्छाओं के कारण छोड़ी है. हाल ही में शरद पवार गुट ने चुनाव आयोग को बताया था कि पार्टी में कोई विवाद नहीं है, लेकिन कुछ लोग महत्वाकांक्षाओं के लिए पार्टी से अलग हो गए हैं. 


9. अजित पवार ने एनसीपी से बगावत करते हुए दो जुलाई को डिप्टी सीएम पद की शपथ ली थी. इसी के साथ महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस के बाद दूसरे उपमुख्यमंत्री बन गए. एकनाथ शिंदे राज्य के मुख्यमंत्री बने रहे. 


10. एनसीपी से पहले शिवसेना में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में टूट हुई थी. इस कारण कांग्रेस, एनसीपी (अविभाजित एनसीपी) और शिवसेना (अविभाजित शिवसेना) की महाविकास अघाड़ी वाली सरकार गिर गई थी. 


इनपुट भाषा से भी.


ये भी पढ़ें- Maharashtra Politics: 'फैसला हो चुका है और वापस जाने...', क्या शरद पवार गुट में लौटेंगे NCP नेता हसन मुश्रिफ?