Priyank Kanoongo on Madrasa Education: एनसीपीसीआर अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने मदरसों को मिल रही फंडिग और तालीम पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा है कि मदरसों की मिल रही फंडिंग को तत्काल रोकी जानी चाहिए. प्रियांक ने देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद पर भी सवाल खड़े करते हुए कहा कि देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना आज़ाद ने भी गुमराह किया.


एनसीपीसीआर अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि अपनी कौम को शिक्षा से जोड़ने के बजाय मौलाना आजाद ने मदरसे में खड़े हो कर भाषण दिया कि मुसलमान के बच्चों को मदरसों में तालीम लेनी चाहिए उनका दुनियावी तालीम से उनका कोई वास्ता नहीं होना चाहिए. 


एनसीपीसीआर ने अध्ययन में पायी ये तीन बातें


प्रियांक के मुताबिक राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण अधिकार आयोग ने पिछले नौ सालों में अध्ययन किया.इसमें तीन मुख्य बातें सामने आयीं. अव्वल, मदरसा बोर्ड में हिंदू बच्चों को रखा गया है जो गलत है. इसे रोका जाना चाहिए. शिक्षा अधिकार कानून के तहत कोई मदरसे नहीं चल रहे हैं. सभी की फंडिंग रोकी जानी चाहिए. इसके अलावा वो मदरसे जिनकी संख्या ज़्यादा और मदरसा बोर्ड से संबंध नहीं है. उनमें पढ़ रहे बच्चों को स्कूली शिक्षा मिले. 


मदरसों की मैंपिग करने की सलाह


एबीपी न्यूज़ से ख़ास बातचीत में उन्होंने कहा कि देश के सभी राज्य सरकारों से अनमैप्ड मदरसों को चिन्हित और मैपिंग करने को कहा था. गुजरात में ठीक मैपिंग हुई बावजूद इसके कि गुजरात सरकार के एक अधिकारी पर जानलेवा हमला हुआ एक मदरसे में. उसके बावजूद उन अधिकारी ने मैपिंग किया.


इस रिपोर्ट में ये भी है कि सिलसिलेवार तरीके से मुसलमान कौम को गर्त में धकेला गया कि बावजूद इसके कि भारत में आज़ादी के बाद पांच शिक्षा मंत्री मुसलमान हुए. पहले शिक्षा मंत्री मौलाना आजाद हुए. उन्होंने अपनी कौम को शिक्षा से जोड़ने के बजाय उन्होंने मदरसे में खड़े हो कर भाषण दिया कि मुसलमान के बच्चों को मदरसों में तालीम लेनी चाहिए उनका दुनियावी तालीम से उनका कोई वास्ता नहीं होना चाहिए.


मुसलमानों को उनके नेताओं ने किया गुमराह: प्रियांक कानूनगो


प्रियांक कानूनगो ने कहा, "मुसलमानों समुदाय के शासकों ने सैंकड़ों वर्षों तक भारत पर राज किया और उसके बावजूद सबसे पिछड़ी है,जिसका कारण है कि पढ़ाई से दूर रहना. दूसरी तरफ़ देश में दलित लीडर्स भी रहे बाबा साहेब ने कहा शिक्षा वो शेरनी का दूध है जो पियेगा वो दहाड़ेगा. आज 14% SC और 5-6% ST के बच्चे हायर एजुकेशन ले रहे हैं.मुसलमानों के बड़ी आबादी के बावजूद उनके केवल 5% बच्चे ही उच्च शिक्षा में हैं.उनके कौम के लीडर्स ने उनके बच्चों को गुमराह किया."


दीनी तालीम और दुनियावी तालीम में फर्क को लेकर किए गये सवालों के जवाब में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण अधिकार आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि विज्ञान से अलग इनकी किताबों में लिखा है मनुष्य को मांस के लोथड़ों से उत्पन्न किया गया. अशरफ अली थानवी की किताबें पढ़ाई जा रही थी कि माइनर के साथ अगर इंटरकोर्स कर लिया तो आपको वजू करने की दोबारा आवश्यकता नहीं. जो एक अल्लाह को नहीं मानते वो काफिर है. जाकिर नाइक और अशरफ अली थानवी की बातें कहीं न कहीं मैच करती है. 


'मदरसों में औरंगजेब जमाने के पैटर्न पर हो रही पढ़ाई'


प्रियांक कानूनगो ने कहा, "मदरसे में पूछा गया कि अगर मैं गैर इस्लामिक के ऊपर फिदायीन हमला करूँ तो क्या वो जायज है. सवाल पूछने वाला पाकिस्तानी था,ये तब पूछा गया जब भारत में अजमल कसाब ने अटैक किया इसका जवाब भारत का मदरसा कह रहा है अपने लोकल स्कॉलर से पूछ लो. मोहम्मद बिन कासिम को मदरसे के किताबों में दानी और महान बताया जा रहा है.वो बलात्कारी और आततायी था. झूठ परोसा जा रहा है. पाप परोसा जा रहा है. औरंगजेब के जमाने में बने पैटर्न पर भारत के मदरसे में पढ़ाई हो रही है."


प्रियांक में कहा कि अगर बच्चों को स्कूल में लाकर पढ़ाना बांटना है नेताओं से सवाल है कि आपके बच्चे कहां पढ़ते हैं. गरीब मुसलमान के बच्चों को खुद की हां में हां मिलाने वाले एक ऐसी गुलाम कम्युनिटी तैयार करना चाहते हैं कि वोट बैंक पॉलिटिक्स का जरिया बन सके. कम्युनिटी ध्यान दे कि बच्चे स्कूल में पढ़े. जो बच्चा स्कूल में पड़ेगा उसके दिमाग में जहर नहीं भरेगा. गुलामों की फौज खत्म हो जाएगी.


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