बाल देखभाल केन्द्रों में वित्तीय अनियमितता की आशंका, पता लगाने के लिए शुरू होगी कवायद: NCPCR
एनजीओ संचालित बाल केंद्रों में वित्तीय गड़बड़ी की आशंका पर एनसीपीसीआर ने चिंता जताई हैविदेशी चंदे और खर्च का पता लगाने के लिए देशभर में आयोग अब कवायद शुरू करने जा रहा है
नई दिल्ली: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) गैर-सरकारी संगठनों के विदेशी चंदे और खर्च का पता लगाने के लिए देशभर में कवायद शुरू करने जा रहा है. आयोग का कहना है कि गैर-सरकारी संगठन संचालित 600 से अधिक बाल देखभाल केन्द्रों को 2018-19 में प्रति बच्चा छह लाख रुपए तक विदेशी चंदा प्राप्त हुआ है. ये रकम औसत खर्च के मुकाबले काफी अधिक है.
एनजीओ के विदेशी चंदे, खर्च में गड़बड़ी की आशंका
शीर्ष बाल अधिकार निकाय एनसीपीसीआर ने जानकारी देते हुए संभावित वित्तीय अनियमितताओं पर चिंता जताई. आयोग ने गृह मंत्रालय की विदेशी चंदा नियमन अधिनियम (एफसीआरए) वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों का इस्तेमाल करते हुए गड़बड़ी का संकेत दिया है. आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो के मुताबिक, विश्लेषण में पाया गया है कि 2018-19 में एनजीओ को प्रति बच्चा औसतन 2.12 लाख से 6.60 लाख रुपए तक की धनराशि मिली है.
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने जताई चिंता
एनजीओ के बड़ी मात्रा में धन एकत्रित किए जाने से कोष के संभावित गबन को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं. लिहाजा, देशव्यापी कवायद शुरू कर कार्रवाई की जाएगी. आयोग ने आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु के बाल देखभाल केन्द्रों के आंकड़ों का विश्लेषण किया है. विश्लेषण में ये बात सामने आई कि आंध्र प्रदेश में एनजीओ संचालित 145 बाल देखभाल केन्द्रों को 6,202 बच्चों के लिए 409 करोड़ रुपये मिले. इस लिहाज से एक बच्चे पर प्रतिवर्ष 6.6 लाख रुपए खर्च होने चाहिए थे.
वित्तीय अनियमितत्ता का पता लगाने की कवायद
तेलंगाना में 67 केन्द्रों को 3,735 बच्चों के लिए 145 करोड़ रुपए चंदे में हासिल हुए. जिसके तहत एक बच्चे पर 3.88 लाख रुपए खर्च होने चाहिए. केरल में 107 केन्द्रों को 4,242 बच्चों पर 85.39 करोड़ रुपए की प्राप्ति हुई. जिसका मतलब है कि एक बच्चे पर 2.01 लाख रुपए खर्च की जरूरत थी. कर्नाटक में 45 केन्द्रों को 3,111 बच्चों के लिए 66.62 करोड़ रुपये दिए गए.
इस हिसाब से एक बच्चे पर 2.14 लाख रुपए खर्च होने चाहिए. तमिलनाडु में 274 केन्द्रों को 1,172 बच्चों पर मिलनेवाली रकम 248 करोड़ है. जिसके अनुसार एक बच्चे पर 2.12 लाख रुपए खर्च होने चाहिए. बाल संरक्षण योजना के अनुसार सभी आवर्ती खर्चों को मिलाकर हर बच्चे पर प्रतिवर्ष 60 हजार रुपये खर्च होने चाहिए. आयोग का कहना है कि 600 बाल केन्द्रों में कुल 28 हजार बच्चे हैं.
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