NCRB Data: देश में 2015 से जेलों में बंद भारतीय विचाराधीन कैदियों (Undertrial Prisoners) की संख्या में 30 फीसदी से अधिक की बढ़ोत्तरी हुई है, जबकि दोषियों की संख्या में 15 फीसदी की कमी आई है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की वार्षिक ‘जेल सांख्यिकी भारत 2020’ (Annual Prison Statistics India 2020) रिपोर्ट के अनुसार, 2020 के अंत तक देश में भारतीय कैदियों की संख्या 4.83 लाख थी. आंकड़ों के अनुसार, 2015 में देशभर में 4.13 लाख कैदी थे. 2016 में यह संख्या बढ़कर 4.26 लाख, 2017 में 4.45 लाख, 2018 में 4.61 लाख, 2019 में 4.76 लाख और 2020 में 4.83 लाख हो गई.
विचाराधीन कैदियों की संख्या में 30 फीसदी का इजाफा
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ने कहा है कि जेलों में भारतीय कैदियों की संख्या में 31 दिसंबर 2015 की तुलना में 31 दिसंबर 2020 में 17.1 फीसदी का इजाफा हुआ है. इन कैदियों में, विचाराधीन और बंदियों की संख्या में क्रमशः 31.3 प्रतिशत और 40.6 फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है. जबकि 2015 की तुलना में 31 दिसंबर, 2020 तक दोषियों की संख्या में 15.5 प्रतिशत की कमी आई है. भारतीय कैदियों (Indians Prisoners) के अलावा, 2020 के अंत तक देश की जेलों में विदेशी मूल के 4,926 कैदी बंद थे.
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यूपी में सबसे अधिक विचाराधीन कैदी
वहीं राज्यों की बात करें तो, उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 1.06 लाख, यानी कुल संख्या के 22.1 फीसदी विचाराधीन कैदी (Undertrial Prisoners) हैं. इसके बाद बिहार में 51,849 यानी 10.7 फीसदी और मध्य प्रदेश में 45,456 यानी 9.4 फीसदी कैदी हैं. आंकडों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में ही सबसे अधिक 26,607 (कुल संख्या के 23.9 फीसदी) दोषी ठहराए गए कैदी हैं. इसके बाद मध्य प्रदेश में 13,641 (12.2 फीसदी) और बिहार में 7,730 (6.9 फीसदी) सजायाफ्ता कैदी हैं. बता दें कि एनसीआरबी (NCRB) केन्द्रीय गृह मंत्रालय के अधीन काम करता है.
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