NCRB Report on Sucide: नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (NCRB) की साल 2020 की रिपोर्ट के मुताबिक देश में कोरोना काल के दौरान सबसे ज्यादा लोगों ने आत्महत्या की और इस दौरान फांसी लगाकर आत्महत्या करने वालों की दर बढ़कर 57 फीसदी से ज्यादा पहुंच गई.  इस दौरान कुल डेढ़ लाख से ज्यादा लोगों ने देशभर में आत्महत्या कीं, जिनमें 10 हजार से ज्यादा लोग खेती किसानी से जुड़े हुए थे.


पारिवारिक क्लेशों और बीमारी के चलते हुईं सबसे ज्यादा आत्महत्याएं 


दिलचस्प यह भी है कि बिहार, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, और चंडीगढ में किसी एक भी किसान की आत्महत्या की खबर नहीं आई. सबसे ज्यादा आत्महत्याएं पारिवारिक क्लेशों और बीमारी के चलते हुईं. रिपोर्ट के मुताबिक, सड़क दुर्घटनाओं मे भारी कमी आई है और पिछले पांच सालों के मुकाबले सबसे कम लोगों की मौत सड़क और रेल क्रासिंग दुर्घटनाओं में हुईं. साल 2020 में कोरोना बंद के वावजूद 3 लाख 74 हजार 397 लोग इन दुर्घटनाओं मे मारे गए.


एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में साल 2020 में ज्यादातर कोरोनाकाल के चलते बंद का ही माहौल था, लेकिन पिछले पांच सालों के मुकाबले ज्यादा लोगों ने आत्महत्या की.



  • साल 2016 में 1 लाख 31 हजार

  • साल 2017 में एक लाख 29 हजार साल

  • साल 2018 में एक लाख 34 हजार

  • और साल 2019 में एक लाख 39 हजार 123 लोगों ने आत्महत्या की


वहीं साल 2020 में एक लाख 53 हजार 52 लोगों ने आत्महत्या की. इसका सीधा मतलब यह भी है कि कोरोना काल में बंद के दौरान लोगो में ज्यादा तनाव था, जिसके चलते यह प्रतिशत पिछले पांच सालों के मुकाबले बढ गया.


10 हजार 677 लोग खेती किसानी से जुड़े हुए थे


एनसीआरबी के डाटा के मुताबिक, जिन लोगों ने आत्महत्या की, उनमें 10 हजार 677 लोग खेती किसानी से जुड़े हुए थे. इस संख्या में किसान मजदूरी करने वालों की संख्या 5098 थी. जबकि किसानों की संख्या 5579 थी. ये संख्या कुल आकंडे 1,53,052 का सात प्रतिशत है. जिन किसानों ने आत्महत्याएं की उनमें 244 महिला भी शामिल हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि कई राज्य ऐसे भी थे, जहां एक भी किसान या उससे जुड़े लोगो ने आत्महत्या नहीं. ये राज्य हैं-



  • पश्चिम बंगाल
    उत्तराखंड

  • बिहार

  • नागालैंड

  • त्रिपुरा

  • लक्षदीप

  • पांडिचेरी

  • लद्दाख

  • चंडीगढ

  • और दिल्ली


रिपोर्ट के मुताबिक सबसे ज्यादा आत्महत्याएं पांच राज्यों-



  • महाराष्ट् में 19,909

  • तमिलनाडू में 16,883

  • मध्यप्रदेश में 13,101

  • पश्चिम बंगाल में

  • और 12,259 कर्नाटक में हुईं.


इन पांच राज्यों में हुईं आत्महत्याएं पूरे देश में हुई आत्महत्याओं का कुल 50.1 प्रतिशत थीं. रिपोर्ट में कहा गया है कि इन आत्महत्याओं में सबसे ज्यादा लोग पारिवारिक कलह (33.6 प्रतिशत) और बीमारी (18 प्रतिशत) की वजह से मरे. नशे के कारण 6 प्रतिशत लोग और शादी विवाद के कारण 5 प्रतिशत लोगो ने आत्महत्या की. बेरोजगारी के चलते 2.2 प्रतिशत और प्यार मे विफलता के कारण 4.4 प्रतिशत लोगो ने अपनी जान दी.


प्रोफेशनल कैरियर मे समस्या के कारण 1.2 प्रतिशत लोगो ने अपनी जान दी. सरकारी सेवाओ में रहने वाले 1.3 प्रतिशत लोगों ने जबकि प्राइवेट नौकरी करने वालो लोगो में आत्महत्या का प्रतिशत 6.6 रहा. आत्महत्या करने वाले लोगों में उम्र के मुताबिक सबसे ज्यादा 30 साल से ज्यादा और 45 साल से कम उम्र के लोगों ने आत्महत्या की. रिकार्ड के मुताबिक इस उम्र के 36,525 लोगों ने साल 2020 में आत्महत्या की.


23.4 प्रतिशत पढ़े लिखे लोगों ने की आत्महत्या


रिपोर्ट मे बताया गया है कि आत्महत्या करने वालों में मैट्रिक तक पढ़े लिखे लोगों की आत्महत्या का प्रतिशत 23.4जबकि अनपढों का प्रतिशत 12.6 था. जबकि चार प्रतिशत ऐसे लोगों ने भी आत्महत्या की जो ग्रेजुएट और उससे ज्यादा पढे लिखे थे. साल 2019 के मुकाबले साल 2020 में फांसी लगाकर और जहरीला पदार्थ खाकर आत्महत्या करने वालों के प्रतिशत में भी बढोतरी हुई. इनमे साल 2019 मे जहां 753 लोगों ने जहर से तो साल 2020 मे 883 लोगों ने जहर खाकर जान दी. वहीं साल 2019 में जहां फांसी लगाकर 74,629 लोगों ने जान दी, वहीं साल 2020 में यह आकंडा बढ़कर 88,460 पहुंच गया. यानि पिछले साल की तुलना में यह प्रतिशत बढ गया, जबकि फांसी लगाकर आत्महत्या करने को सबसे ज्यादा पीड़ा दायक माना जाता है.


एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2020 में पिछले पांच सालों के दौरान सबसे कम सड़क दुर्घटनाएं हुईं और इसका बड़ा कारण कोरोनाकाल भी कहा जा सकता है. इसके वावजूद पूरे देश में विभिन्न सड़क और रेल क्रासिग दुर्घटनाओं में 3,74,397 लोग मारे गए. यह आकंडा साल 2019 में 4,21,404, साल 2018 में 4,11,824, साल 2017 में 3,96,584, साल 2016 में 4,18,221 था.


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