Indian Railways: भारतीय रेलवे के जरिए हाल के समय में अपराधियों ने वुमन ट्रैफिकिंग यानी महिलाओं की तस्करी की कई घटनाओं को अंजाम दिया है. इस बात को ध्यान में रखते हुए अब राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) रेल नेटवर्क के जरिए महिला तस्करी पर अधिकारियों को संवेदनशील बनाने की कोशिश कर रही है. एनसीडब्ल्यू ने रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के साथ हाथ मिलाया है, ताकि मानव तस्करी जैसे जघन्य अपराधों को रोका जा सके. 


फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, एनसीडब्ल्यू और आरपीएफ के बीच एक एमओयू साइन किया गया है, जिसका मकसद महिला तस्करी से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए अधिकारियों को ट्रेनिंग देना है. एक बयान में बताया गया है कि मानव तस्करी का शिकार होने वाले पीड़ितों में 70 फीसदी महिलाएं होती हैं. ऐसे में दोनों संगठनों ने इस समस्या से निपटने के लिए हाथ मिलाया है, ताकि समाज में महिलाओं की सुरक्षा की जा सके और उन्हें अपराधों से बचाया जाए. 


आरपीएफ जवानों को मिलेगी ट्रेनिंग


एमओयू के तहत, संदिग्ध गतिविधियों की पहचान करने और रिपोर्ट करने की क्षमता बढ़ाने के लिए आरपीएफ जवानों को ट्रेनिंग से गुजरना होगा. उन्हें सिखाया जाएगा कि किस तरह की संदिग्ध गतिविधियों पर एक्शन लेना है. महिला तस्करी की शिकार पीड़िता की पहचान कैसे करनी है. 


एनसीडब्ल्यू और आरपीएफ के बीच इस समझौते का मकसद आरपीएफ जवानों के जरिए मानव तस्करी को रोकना है. आरपीएफ जवान तस्करी के खिलाफ सुरक्षा की एक लेयर के तौर पर काम करेंगे, जिससे इस खतरनाक अपराध को होने से रोका जा सके.


सीआईएसएफ के साथ भी काम कर रही एनसीडब्ल्यू 


एनसीडब्ल्यू महिला तस्करी के संकट से लड़ने के लिए केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) जैसी कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ सक्रिय रूप से काम कर रहा है. एनसीडब्ल्यू ने 2 अप्रैल, 2022 को मानव तस्करी विरोधी सेल की भी स्थापना की थी. एनसीडब्ल्यू की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने महिलाओं और युवा लड़कियों की तस्करी की संवेदनशीलता को रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि भारतीय रेलवे का नेटवर्क काफी बड़ा है और इसका फायदा उठाकर अपराध को अंजाम दिया जाता है. 


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