POCSO एक्ट अध्यादेश: CPM फांसी के खिलाफ, बृंदा करात बोलीं- 'रेपिस्ट रक्षक' को मिले मौत
कठुआ-उन्नाव में रेप की घटनाओं को लेकर देश भर में व्याप्त रोष के बीच मोदी सरकार ने 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से रेप के दोषियों को अदालतों द्वारा मौत की सजा देने संबंधी एक अध्यादेश को आज मंजूरी दे दी.
नई दिल्ली: कठुआ और उन्नाव गैंगरेप के बाद आलोचनाओं का सामना कर रही बीजेपी सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए पोस्को एक्ट में बड़े बदलाव किये हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज हुई कैबिनेट की बैठक में 12 वर्ष से कम उम्र की बच्चियों के साथ रेप करने वालों के लिए फांसी की सजा के प्रावधान वाले अध्यादेश को मंजूरी दी गई. इस फैसले पर मिली-जुली प्रतक्रिया मिल रही है.
पूर्व कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि जरूरत इस बात की है कि हम इन घटनाओं के मूल कारणों को तलाशें, क्योंकि ऐसे मामलों में न्यायपालिका की अपनी एक सीमा होती है, जिसके आगे वह हमारी मदद नहीं कर पायेगी. उन्होंने कहा, ''जो हाल में घटनाएं हुई है वह शर्मनाक है.''
सीपीएम बोलीं- रेपिस्ट रक्षक को मिले सजा
सीपीएम नेता बृंदा करात ने मोदी सरकार के अध्यादेश पर तंज कसे और पार्टी को फांसी की सजा के खिलाफ बताया. उन्होंने कहा, ''सैद्धांतिक तौर पर सीपीएम फांसी की सजा के खिलाफ रही है. गंभीर अपराधों के मामले में फांसी की सजा का पहले से भी प्रावधान है. मुख्य मुद्दा यह है कि सरकार के कुछ सदस्य रेपिस्ट का बचाव कर रहे हैं. 'रेपिस्ट रक्षक' को फांसी की सजा मिलनी चाहिए.''
आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर के कठुआ गैंगरेप मामले में आरोपियों के पक्ष में बीजेपी के दो नेताओं ने कथित तौर पर रैलियां निकाली थी. इसके बाद यह मामला राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आया. दबाव के बाद बीजेपी के दोनों विधायक चंद्र प्रकाश गंगा और चौधरी लाल सिंह को जम्मू-कश्मीर कैबिनेट से बतौर मंत्री इस्तीफा देना पड़ा.
कठुआ गैंगरेप पीड़िता के पिता ने क्या कुछ कहा?
सरकार के फैसले के बाद कठुआ रेप पीड़िता के पिता को न्याय की उम्मीद जगी है. उन्होंने सरकार के फैसले पर कहा, ''हम साधारण लोग हैं, हम सरकार द्वारा लिए गए निर्णयों की गहराई नहीं जानते हैं लेकिन जो भी वे कर रहे हैं अच्छा कर रहे हैं. हमें न्याय की उम्मीद है. एक बच्चा केवल बच्चा है जिसमें कोई हिंदू या मुस्लिम नहीं है.''
महिला आयोग ने किया स्वागत
राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा, ''मैं सरकार के फैसले का स्वागत करती हूं. लेकिन मुख्य चुनौती कानून लागू करने की है. बच्चियों से रेप के दोषियों को जल्द सजा दिलाने के लिए विशेष फास्ट ट्रैक कोर्ट भी बनाई जानी चाहिए.''
आपको बता दें कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने अध्यादेश पर फैसले से एक दिन पहले शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि बच्चियों से दुष्कर्म करने के दोषियों को मृत्युदंड देने का प्रस्ताव लाया जा रहा है. मंत्रालय ने अदालत को बताया था कि सरकार नाबालिग बच्चियों के साथ भयावह तरीके से यौन उत्पीड़न के मुद्दे पर संवेदनशील है और बच्चियों के साथ दुष्कर्म करने पर मृत्युदंड का प्रावधान पेश करने के लिए यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम में संशोधन प्रस्तावित है.
अध्यादेश में क्या है खास प्रावधान? अध्यादेश को मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा. इसमें 16 वर्ष से कम आयु की किशोरियों और 12 वर्ष से कम आयु की बच्चियों से रेप के दोषियों के खिलाफ सख्त दंड का प्रावधान किया गया है. इसके तहत 12 साल से कम उम्र के बच्चियों से दुष्कर्म के दोषियों को अदालतों द्वारा मौत की सजा देने की बात कही गई है. इसके अलावा बलात्कार के मामलों की तेज गति से जांच और सुनवाई के लिये भी अनेक उपाए किये गए हैं . महिला के साथ बलात्कार के संदर्भ में सजा को 7 वर्ष से बढ़ाकर 10 वर्ष के कारावास किया गया है जिसे बढ़ाकर उम्र कैद किया जा सकता है.
इसके साथ ही 16 वर्ष से कम आयु की किशोरी से बलात्कार के दोषियों को न्यूनतम सजा को 10 वर्ष कारावास से बढ़ाकर 20 वर्ष कारावास किया गया है जिसे बढ़ा कर उम्र कैद किया जा सकता है. 16 वर्ष से कम आयु की किशोरी से सामूहिक बलात्कार के दोषियों की सजा शेष जीवन तक की कैद होगी. बारह साल से कम उम्र के बच्चियों से दुष्कर्म के दोषियों को अदालतों द्वारा कम से कम 20 साल कारावास की सजा या मृत्यु दंड होगी. बारह साल से कम उम्र की लड़कियों से सामूहिक बलात्कार के दोषियों को शेष जीवन तक कैद या मौत की सजा का प्रावधान किया गया है .
इसमें बलात्कार से जुड़े सभी मामलों की सुनवाई का काम दो महीने में पूरा करने का प्रावधान किया गया है. ऐसे मामलों में अपील की सुनवाई छह महीने में पूरा करने की बात कही गई है. इसमें यह कहा गया है कि 16 वर्ष से कम आयु की किशोरी से बलात्कार या सामूहिक बलात्कार के आरोपी लोगों के लिये अग्रिम जमानत का कोई प्रावधान नहीं होगा .
इसमें राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों के साथ विचार विमर्श करके त्वरित निपटान अदालतों के गठन की बात कही गई है . सभी पुलिस थाने और अस्पतालों में विशेष फारेंसिक किट उपलब्ध कराने की बात कही गई है . इसमें कहा गया है कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो यौन अपराध से जुड़े लोगों का राष्ट्रीय डाटाबेस तैयार करेगा और इसे राज्यों के साथ साझा किया जायेगा.