नई दिल्ली: यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी का 93 साल की उम्र में निधन हो गया है. दिल्ली के मैक्स के अस्पताल उन्होंने आखिरी सांस ली. 18 अक्टूबर 1925 में आज ही के दिन उनका जन्म भी हुआ था. आइए एक नजर डालते उनके करियर पर.
नारायण दत्त तिवारी का जन्म 1925 में नैनीताल जिले के बलूती गांव में हुआ था. उस वक्त न उत्तर प्रदेश राज्य का गठन नही हुआ था और न ही उत्तराखंड बना था लेकिन बाद में उन्होंने दोनों राज्यों का मुख्यमंत्री बनकर इतिहास रच दिया. उन्होंने अपनी शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पूरी की, उन्होंने वहां से राजनीतिक शास्त्र में एमए किया. 1942 में अग्रेजी सरकार ने उन्हें साम्राज्यवादी नीतियों के खिलाफ काम करने के लिए जेल में डाल दिया था. 15 महीने जेल में रहने के बाद 1944 में वह जेल से बाहर आए. जेल से बाहर आने के बाद उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी. जब 1947 में देश को आजादी मिली तो उसी साल वह इस विश्वविद्यालय में छात्र यूनियन के अध्यक्ष चुने गए और यह उनके सियासी जीवन की पहली सीढ़ी थी.
आजादी के बाद 1950 में उत्तर प्रदेश के गठन और 1951-52 में प्रदेश के पहले विधानसभा चुनाव में तिवारी ने नैनीताल (उत्तर) सीट से सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर हिस्सा लिया. कांग्रेस की हवा के बावजूद वे चुनाव जीत गए और पहली विधानसभा के सदस्य के तौर पर सदन में पहुंच गए. कांग्रेस के साथ तिवारी का रिश्ता 1963 से शुरू हुआ. 1965 में वह कांग्रेस के टिकट पर काशीपुर विधानसभा क्षेत्र से चुने गए और पहली बार मंत्रिपरिषद में उन्हें जगह मिली.
1979 और 71 में वह कांग्रेस के युवा संगठन के अध्यक्ष रहे. 1976 में पहली बार उत्तर प्रदेश राज्य के मुख्यमंत्री बने लेकिन जेपी आंदोलन की वजह से उन्हे 1977 में अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा. 1984 में वह दूसरी बार यूपी के सीएम बने और फिर 1988 में तीसरी बार सीएम पद की कुर्सी संभाली.
2000 में उत्तराखंड राज्य का गठन हुआ और साल 2002 में ही उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बन एनडी तिवारी ने इतिहास रच दिया. वह दो राज्यों के मुख्यमंत्री बनने वाले इकलौते राजनेता बन गए. इतना ही नहीं साल 2007 में एनडी तिवारी आंध्र प्रदेश के राज्यपाल भी बने.