NDA के हरिवंश बने राज्यसभा के उपसभापति, बीके हरिप्रसाद के 105 के मुकाबले 125 मत मिले
राज्यसभा में इस वक्त 244 सांसद हैं, लेकिन 230 सांसदों ने ही वोटिंग में हिस्सा लिया. एनडीए के उम्मीदवार को बहुमत के आंकड़े 115 से 20 वोट ज्यादा मिले.
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नई दिल्ली: 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले राज्यसभा के उपसभापति के चुनाव में सत्ताधरी बीजेपी ने अपने उम्मीदवार के जीत के साथ ही एक बार फिर विपक्षी एकता को खंडित किया है. एनडीए के उम्मीदवार हरिवंश नारायण सिंह को 125 वोट मिले, जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार बीके हरिप्रसाद को महज़ 105 मत ही मिले.
इस तरह एडीएन ने यूपीए के उम्मीदवार को 25 मतों से हरा हरा दिया. राज्यसभा में इस वक्त 244 सांसद हैं, लेकिन 230 सांसदों ने ही वोटिंग में हिस्सा लिया. एनडीए के उम्मीदवार को बहुमत के आंकड़े 115 से 20 वोट ज्यादा मिले.
बता दें कि 1977 से लगातार कांग्रेस का उम्मीदवार ही उपसभापति बनता था, इस लिहाज से एनडीए की ये जीत बेहद अहम मानी जारी है. हरिवंश की इस जीत में सबसे बड़ा योगदान बीजेडी का रहा जिसने तमाम मतभेदों को बावजूद एनडीए के उम्मीदवार को वोट किया.
हरिवंश को कांग्रेस की बधाई
राज्यसभा के उपसभापति चुने जाने के बाद कांग्रेस ने दिल खोलकर हरिवंश नारायण को बधाई दी. राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि हरिवंश नारायण न सिर्फ एनडीए के उपसभापति हैं, बल्कि राज्यसभा के उपसभापति हैं. उन्होंने उम्मीद जताई कि हरिवंश नारायण सदन का काम अच्छे तरीके से करेंगे.
पीएम मोदी की बधाई
हरिवंश की जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें बधाई दी. पीएम मोदी ने पूर्व पीएम चंद्रशेखर से हरिवंश के रिश्ते का जिक्र किया और कहा कि उनका अनुभव काफी अधिक है. बधाई देते हुए पीएम मोदी ने कहा कि हरिवंश को पूर्व पीएम चंद्रशेखर के इस्तीफे का पहले से पता था, लेकिन उन्होंने किसी को इसकी खबर नहीं दी. उन्होंने अपने पद की गरिमा बरकरार रखी. मोदी ने हरिवंश की जमकर तारीफ की और उनकी पत्रकारिता के धर्म को निभाने का भी बखान किया. इसके साथ ही मोदी ने कहा कि अब सबको हरि कृपा मिलनी चाहिए.
कौन हैं हरिवंश सिंह?
हरिवंश नारायण सिंह का जन्म 30 जून 1956 को बलिया जिले के सिताबदियारा गांव में हुआ था. हरिवंश जेपी आंदोलन से खासे प्रभावित रहे हैं. उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एमए और पत्रकारिता में डिप्लोमा की पढ़ाई की और अपने कैरियर की शुरुआत टाइम्स समूह से की थी.
बैंक ऑफ इंडिया में भी की नौकरी
इसके बाद हरिवंश को साप्ताहिक पत्रिका धर्मयुग की जिम्मेदारी सौंपी गई. हरिवंश साल 1981 तक धर्मयुग के उपसंपादक रहे. इसके बाद उन्होंने पत्रकारिता छोड़ उन्होंने साल 1981 से 1984 तक हैदराबाद और पटना में बैंक ऑफ इंडिया में नौकरी की. साल 1984 में एक बार फिर हरिवंश ने पत्रकारिता में वापसी की और साल 1989 तक आनंद बाजार पत्रिका की सप्ताहिक पत्रिका रविवार में सहायक संपादक रहे.
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साल 2014 में पहली बार संसद पहुंचे हरिवंश
90 के दशक में हरिवंश बिहार के एक बड़े मीडिया समूह से जुड़े, जहां पर उन्होंने दो दशक से ज़्यादा वक़्त तक काम किया. अपने कार्यकाल के दौरान हरिवंश ने बिहार से जुड़े गंभीर विषयों को प्रमुखता से उठाया. इसी दौरान वह नीतीश कुमार के करीब आए इसके बाद हरिवंश को जेडीयू का महासचिव बना दिया गया. साल 2014 में जेडीयू ने हरिवंश को राज्यसभा के लिए नामांकित किया और इस तरह से हरिवंश पहली बार संसद तक पहुंचे.
राजपूत जाति से आते हैं हरिवंश
हरिवंश के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने दिल्ली से लेकर पटना तक मीडिया में नीतीश कुमार की बेहतर छवि बनाने में बड़ा योगदान दिया है. हरिवंश राजपूत जाति से आते हैं और जानकारों की माने तो हरिवंश को उपसभापति का उम्मीदवार बनाकर एनडीए ने बिहार में राजपूत वोट बैंक को अपनी ओर खींचने की कोशिश भी की.
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