NDA Meeting: विपक्षी दलों की बैठक के ठीक बाद हुई बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए की बैठक में 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर रणनीति बनाई गई. इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मिलकर सभी दलों ने तमाम मुद्दों पर चर्चा की. अब बताया गया है कि एनडीए सांसदों के 10 अलग-अलग ग्रुप बनाए गए हैं. हर ग्रुप प्रधानमंत्री मोदी के साथ बैठक करेगा. जिसमें सभी सांसद अपने क्षेत्रों को लेकर पीएम मोदी को जानकारी देंगे, साथ ही 2024 के लिए रणनीति बनाने में भी आसानी होगी. 


अलग-अलग रीजन की बैठक
बताया गया है कि 25 जुलाई से ये बैठकें शुरू होंगी. जिसमें हर दिन 2 अलग-अलग रीजन की मीटिंग होगी. पहले दिन यूपी और नॉर्थ ईस्ट की बैठक होगी. जिसमें इन दोनों रीजन के सांसद मौजूद रहेंगे. जानकारी के मुताबिक हर ग्रुप में 35 से 40 सांसद रहेंगे. इसे एनडीए की रणनीति का हिस्सा बताया जा रहा है, जो हाल ही में दिल्ली में हुई बैठक में बनाई गई थी. ये बैठकें 25 जुलाई से 3 अगस्त तक होंगी.


सांसदों से लिया जाएगा फीडबैक
बताया गया है कि केंद्रीय मंत्रियों और पार्टी पदाधिकारियों को समन्वय की जिम्मेदारी दी गई है. उत्तर प्रदेश की पहली बैठक में संजीव बालियान और अजय भट्ट को जिम्मेदारी दी गई है. पार्टी की तरफ से महासचिव तरुण चुग और सचिव ऋतुराज सिन्हा समन्वय करेंगे. सांसदों को कहा गया है कि वे अपने कामकाज के बारे में रिपोर्ट तैयार कर ला सकते हैं. इस दौरान सांसदों से जमीनी स्तर का फीडबैक लिया जाएगा. एनडीए के 25 साल पूरे होने के मौके पर ये बैठकें की जा रही हैं.  


एनडीए दलों ने जारी किया बयान
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने दिल्ली में हुई बैठक के बाद बयान जारी कर कहा कि वो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ेगा और लगातार तीसरी बार ‘प्रचंड बहुमत’ के साथ सत्ता में वापसी करेगा. एनडीए के सहयोगी दलों ने देश के विकास की सराहना की और बैठक में एक प्रस्ताव पारित कर मोदी के नेतृत्व में अपना विश्वास व्यक्त किया. 


बीजेपी नीत गठबंधन ने कहा, ‘‘देश विपक्षी दलों के झूठ, अफवाहों और बेबुनियाद आरोपों को खारिज करते हुए, एनडीए गठबंधन के नेतृत्व में विश्वास जता रहा है. एनडीए में शामिल सभी दलों को 2019 में मिले जनादेश से भी बड़ा जनादेश 2024 में हासिल करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पूरा भरोसा है.’’ बैठक में शिवसेना अध्यक्ष और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने प्रस्ताव पेश किया, जबकि ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) के के. पलानीस्वामी और असमगण परिषद (एजीपी) के अतुल बोरा ने इसका समर्थन किया. 


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