दिलचस्प! NDA की बैठक में शामिल हुए LJP के दोनों गुट, चाचा पशुपति पारस के सामने इस सीट पर अड़े हैं चिराग पासवान
NDA Meeting: बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन NDA की बैठक दिल्ली में हो रही है, लेकिन सवाल है कि एनडीए में शामिल हुए सांसद चिराग पासवान और केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस क्या सुलह करेंगे?
NDA Meeting: बीजेपी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की बैठक मंगलवार (18 जुलाई) को दिल्ली में हो रही है. इसमें चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) और केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस की राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी भी मौजूद रही. इस दौरान चिराग पासवान ने चाचा पशुपति पारस के पैर छुए
इसी के साथ चिराग पासवान हाजीपुर सीट पर पहले ही अपना दावा कर चुके हैं. मौजूदा समय में उनके चाचा पशुपति पारस इस संसदीय सीट से सांसद हैं. ऐसे में सवाल है कि क्या एनडीए में शामिल इन दोनों दलों में कोई समझौता होगा?
पशुपति पारस क्या बोले?
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, पशुपति पारस ने चिराग पासवान की टिप्पणी का मजाक उड़ाते हुए कहा कि चुनाव से इतने पहले सीट बंटवारे के मुद्दों पर चर्चा नहीं की जाती है. उन्होंने हाजीपुर सीट पर अपना दावा ठोका.
उन्होंने कहा कि उनके बड़े भाई रामविलास पासवान ने उन्हें अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी चुना था और उन्हें इस सीट से चुनाव लड़ने के लिए कहा था.
चिराग पासवान क्या पशुपति पारस से करेंगे सुलह?
चिराग पासवान ने बताया कि बीजेपी उनकी चिंताओं का समाधान कर रही है. उन्होंने कहा, ‘‘बीजेपी नेताओं के साथ अपनी चर्चा के ब्यौरे के बारे में बोलना मेरे लिए गठबंधन धर्म के खिलाफ होगा, लेकिन लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बारे में मेरी पार्टी की चिंताएं विचार-विमर्श का हिस्सा थीं. बीजेपी ने उनका सकारात्मक रूप से समाधान किया है.''
अपने चाचा के साथ सुलह की संभावना के बारे में पूछे जाने पर चिराग पासवान ने कहा कि पारस उनके लिए पिता की तरह हैं. हालांकि उन्होंने इस दौरान पारस की सार्वजनिक तीखी टिप्पणियों का उल्लेख करते हुए कहा कि इससे मुझे दुख हुआ है.
लोजपा में हुआ था विभाजन
चिराग पासवान के पिता और दिवंगत नेता रामविलास पासवान के नेतृत्व में अविभाजित लोजपा ने 2019 में छह लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ा था. पार्टी ने बीजेपी के साथ सीट के बंटवारे के तहत उसे राज्यसभा की एक सीट भी मिली थी.
यह सब कुछ पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की मौत के बाद बदल गया. चिराग पासवान के नेतृत्व को चुनौती देते हुए जून 2021 में पार्टी के ज्यादातर विधायकों को साथ लेकर पशुपति पारस ने अपना गुट बना लिया और वो केंद्र सरकार में मंत्री बन गए. इसके बाद से चिराग पासवान और पशुपति पारस में टकराव चल रहा है.
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