नई दिल्लीः फ़िलहाल महिला आरक्षण बिल का मामला ठंडे बस्ते में पड़ा है. मोदी सरकार आने के बाद एक बार भी बिल को संसद से पारित करवाने की कोशिश नहीं की है. बिल के मौजूदा स्वरूप को लेकर सपा , बसपा और आरजेडी जैसी पार्टियां विरोध करती रही हैं.
चिराग और आठवले ने की मांग
31 जनवरी यानि कल से शुरू हो रहे संसद के बजट सत्र से पहले आज सरकार की ओर से सत्र पर चर्चा के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई गई. बैठक में बाक़ी नेताओं के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद रहे. बैठक में अन्य मुद्दों के अलावा महिला आरक्षण बिल का मामला भी उठा और उसे पारित करवाने की मांग की गई. ताज्जुब की बात ये है कि ये मांग सिर्फ़ दो पार्टियों की ओर से की गई और दोनों ही एनडीए की सहयोगी पार्टियां हैं. बैठक में मौजूद एलजेपी अध्यक्ष चिराग पासवान के अलावा केंद्रीय मंत्री और आरपीआई नेता रामदास आठवले ने सरकार से इस सत्र में महिला आरक्षण बिल लाने की मांग की.
आठवले का नया सुझाव
चूंकि इस बिल के मौजूदा स्वरूप को लेकर सपा , बसपा और आरजेडी जैसी पार्टियां विरोध करती रही हैं लिहाज़ा रामदास आठवले ने एक नया सुझाव दिया. सूत्रों के मुताबिक़ रामदास आठवले ने कहा कि अगर 33 फ़ीसदी आरक्षण में कुछ पार्टियों को आपत्ति है तो शुरुआत 20 या 25 फ़ीसदी से की जा सकती है. हालांकि सरकार की ओर से बैठक में इस मुद्दे पर कोई जवाब नहीं दिया गया.
बिल फिलहाल ठंडे बस्ते में
महिला आरक्षण बिल फिलहाल ठंडे बस्ते में है. मोदी सरकार आने के बाद अबतक इसे पारित करवाने की कोशिश नहीं हुई है. महिला अधिकारों पर काम करने वाली कार्यकर्ताओं की ओर से तो हर बार इसकी मांग की जाती है लेकिन इसपर बात आगे नहीं बढ़ पाई है.