Presidential Election: NDA की राष्ट्रपति उम्मीदवार बनीं द्रौपदी मुर्मू , 25 जून को कर सकती हैं नामांकन
Presidential Election 2022: झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को बीजेपी ने एनडीए का राष्ट्रपति उम्मीदवार घोषित किया है. जानकारी के अनुसार वह 25 जून को नामांकन कर सकती हैं.
BJP Presidential Candidate 2022: भारतीय जनता पार्टी(Bharatiya Janata Party) ने सबको चौंकाते हुए ओड़िशा(Odisha) की आदिवासी महिला नेत्री और झारखण्ड(Jharkhand) की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू(Draupadi Murmu) पर दांव खेला है. उन्हें बीजेपी(BJP) और एनडीए(NDA) का राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया है. बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा(JP Nadda) ने पार्टी मुख्यालय में हुए मंथन के बाद उनके नाम का खुलासा किया.
इससे पहले बीजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक में पीएम नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में 20 से ज्यादा नामों पर चर्चा हुई. लेकिन अंतिम फैसला द्रौपदी मुर्मू के नाम पर ही हुआ. द्रौपदी मुर्मू यदि देश की राष्ट्रपति निर्वाचित होती हैं तो ये पहला मौका होगा जब एक आदिवासी महिला देश की राष्ट्रपति बनेंगी. इससे पहले मुर्मू के नाम इस बात का भी श्रेय है की वो देश की पहली आदिवासी महिला गवर्नर रह चुकी हैं.
25 को कर सकती हैं नामांकन
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक द्रौपदी मुर्मू 25 को अपना नामांकन दाखिल कर सकती हैं. इसके लिए बीजेपी ने 24 और 25 को अपने सभी वरिष्ठ नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों को दिल्ली में रहने के निर्देश दिए हैं. फिलहाल द्रौपदी मुर्मू छह साल एक महीने तक झारखंड के राज्यपाल पद पर अपनी सेवा दे चुकी हैं.
संथाली आदिवासी जनजाति समाज से है संबंध
द्रौपदी मुर्मू संथाल आदिवासी जनजाति समाज से आती हैं. यह समाज उड़ीसा, झारखंड, पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती जिलों में फैला हुआ है. आजादी के पहले इस पूरे क्षेत्र को संथाल परगना कहते थे. संथाली भाषा बोलने वाले मूल वक्ता को ही संथाली कहते हैं.
संथाली भाषा भाषी के लोग भारत में अधिकांश झारखंड, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, बिहार, असम, त्रिपुरा, मेघालय, मणिपुर, सिक्किम, मिजोरम राज्यों और विदेशों में अल्पसंख्या में चीन, न्यूजीलैंड, नेपाल, भूटान, बंगलादेश, जवा, सुमात्रा आदि देशों में रहते हैं.
प्रकृति की पूजा करने वाले होते हैं संथाली
संथाली भाषा-भाषी के लोग भारत की प्राचीनतम जनजातियों में से एक है, किन्तु वर्तमान में इन्हें झारखंडी (जाहेर खोंडी) के रूप में जाना जाता है. झारखंडी का अर्थ झारखंड(Jharkhand) में निवास वकरने वाले से नहीं है बल्कि "जाहेर" (सारना स्थल) के "खोंड" (वेदी) में पूजा करने वाले लोग से है, जो प्रकृति को विधाता मानता है. अर्थात् प्रकृति के पुजारी- जल, जंगल और जमीन से जुड़े हुए लोग. ये "मारांग बुरु" और "जाहेर आयो" (माता प्रकृति) की उपासना करतें है.
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