Morbi River Rescue : लापता लोगों की तलाश अब भी जारी..NDRF ने बताया मोरबी में कैसे चला रेस्क्यू ऑपरेशन, बची 170 की जान
गुजरात के मोरबी में वायुसेना के विशेष विमानों से सारी टीमों को रवाना किया गया था. NDRF के मुताबिक, ये सभी टीमें ROV और डीप-डाइवर्स जैसे खास वाटर रेस्कयू डिवाइस से लैस थीं.
Morbi River Bridge Collapse: गुजरात के मोरबी में हुए हादसे में स्थानीय प्रशासन के साथ-साथ सेना, NDRF और इंडियन कोस्टगार्ड ने अहम भूमिका निभाई है. सभी के मिले-जुले प्रयासों का नतीजा है कि 170 लोगों को सुरक्षित बचा लिया गया. मानवीय आपदा के लिए अहम एजेंसी नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स यानी NDRF ने ज्वाइंट रेस्क्यू ऑपरेशन पर आधिकारिक बयान जारी करते हुए बताया कि अब तक 134 लोगों के शव नदी से निकाले जा चुके हैं और लापता लोगों की तलाश अब भी जारी है.
NDRF ने बताया कि ज्वाइंट रेस्क्यू ऑपरेशन में थलसेना, वायुसेना, नौसेना, स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स (SDRF), फायर सर्विस, स्थानीय प्रशासन और राज्य-पुलिस शामिल थी. मोरबी की मच्छु नदी पर बने ब्रिटिश काल के सस्पेंशन-ब्रिज के टूटने की खबर मिलते ही NDRF ने पांच टीमों को फौरन घटनास्थल पर रवाना कर दिया. इनमें 03 टीमें रीजनल रिस्पांस सेंटर, गांधीनगर और 02 टीमें वडोदरा में मौजूद बटालियन हेडक्वार्टर से भेजी गईं.
सभी टीमें वाटर रेस्क्यू डिवाइस से लैस
वायुसेना के विशेष विमानों से सारी टीमों को घटना-स्थल के लिए रवाना किया गया. NDRF के मुताबिक, ये सभी टीमें ROV और डीप-डाइवर्स जैसे खास वाटर रेस्कयू डिवाइस से लैस थी. 13 बोट्स के साथ कुल 112 NDRF के जवानों को रेस्क्यू ऑपरेशन में लगाया गया. NDRF के मौके पर पहुंचने के बाद 07 शवों को नदी से निकाला गया.
राज्य प्रशासन से मिली सूचना के आधार पर NDRF ने बताया कि दोपहर 1 बजे तक कुल 134 शवों को मच्छु नदी से निकाल लिया गया था. लेकिन कोई और व्यक्ति लापता ना हो इसके लिए नदी में रेस्क्यू ऑपरेशन जारी था. NDRF कंट्रोल रूम राज्य के स्टेट इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर से लगातार संपर्क बनाए हुए है.
#WATCH | Gujarat: Earlier visuals of the rescue operation at the site of the incident in Morbi where a bridge collapsed leaving 134 people dead till now pic.twitter.com/5NjgNXLArI
— ANI (@ANI) October 31, 2022
भारतीय सेना ने दिखाई फुर्ती
राजधानी दिल्ली मौजूद सेना मुख्यालय के सूत्रों ने एबीपी न्यूज को बताया कि रविवार (30 अक्टूबर) की शाम 8.30 बजे गुजरात के सुरेंद्रनगर जिला प्रशासन से झूलना-ब्रिज के टूटने की जानकारी स्थानीय-फोर्मेशन को प्राप्त हुई थी. इसके तुरंत बाद सेना के 09 कॉलम्स को घटनास्थल पर रवाना किया गया.
इनमें इंजीनियर टास्क फोर्स और मेडिकल-डिटेचमेंट शामिल थे. इन टीमों को जामनगर, भुज और धरंगधरा से मोरबी भेजा गया था. कुल 300 सैनिकों को मोरबी के लिए रवाना किया गया और सेना का पहला कॉलम रात 9.30 बजे मौके पर पहुंच गया था. सेना की एक कॉलम में 30-35 जवान होते हैं.
हॉस्पिटल पहुंचाना जरूरी
जानकारी के मुताबिक, सेना ने मौके पर पहुंचकर सबसे पहले क्राउड-कंट्रोल यानी मौके पर मौजूद भीड़ को नियंत्रित किया और लोगों को वहां से हटाना शुरू किया. घटना-स्थल से सिविल हॉस्पिटल तक के रूट को भी सेना ने खाली कराया ताकि एम्बुलेंस और घायल लोगों को हॉस्पिटल समय रहते पहुंचाया जा सके. सेना के विशेष कॉलम्स ने राहत और बचाव कार्यों में जुटी NDRF, SDRF और फायर-सर्विस की टीमों को मदद करना शुरू किया.
इसके अलावा मेडिकल कॉलम्स को सरकारी हॉस्पिटल , कृष्णा हॉस्पिटल और आयुष हॉस्पिटल में तैनात किया गया ताकि घायलों के इलाज में मदद की जा सके. सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मानवीय आपदा में भारतीय सेना सिविल-प्रशासन की ह्युमन असिस्टेंट एंड डिजास्टर रिलीफ (HADR) ऑपरेशन्स में मदद करने के लिए पूरी तरह तत्पर है ताकि मासूम लोगों की जान को बचाया जा सके.
भारतीय नौसेना ने भी किया मदद
भारतीय नौसेना के प्रवक्ता के मुताबिक, सर्च एंड रेस्क्यू ऑपरेशन में मदद करने के लिए नौसेना ने 05 टीमों को तैनात किया था. इन टीमों में 50 डाइवर्स सहित कुल 54 नौसैनिक थे. इसके अलावा दो रेस्क्यू बोट्स को जामनगर स्थित आईएनएस वलसुरा नेवल स्टेशन से भेजा गया था. इंडियन कोस्टगार्ड ने घटना की रात ही 03 टीमों को मोरबी रवाना कर दिया था. इन टीमों में डाइवर्स, बोट और दूसरे जरूरी उपकरण शामिल थे.