जम्मू: खस्ताहाल सड़कों, ओवरलोडिंग, तेज़ रफ़्तार, असुरक्षित वाहनों के चलते केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में पिछले साल छह हज़ार छोटे-बड़े सड़क हादसों में करीब एक हज़ार लोगो की जान चली गई. इन दुर्घटनाओं में करीब आठ हज़ार लोग घायल भी हो गए. गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर में आतंकवाद से अधिक लोग इन सड़क हादसों में अपनी जान गवाते हैं.


हर साल सड़क हादसों में इतनी बड़ी संख्या में लोगों की जान जा रही है लेकिन इसके बावजूद प्रशासन इन दुर्घटनाओं को रोकने में नाकामयाब साबित रही है. इन हादसों में अधिकतर हादसे जम्मू कश्मीर के पहाड़ी इलाकों में होते है जिसका मुख्य कारण ओवरलोडिंग, खस्ताहाल सड़के, तेज़ रफ़्तार, पुराने वाहन और ट्रैफिक विभाग की सुस्ती है.


हालांकि, राज्य में इन सड़क हादसों को रोकने के लिए स्टेट ट्रांसपोर्ट सलाहकार समिति ने सिफारिशें भी दी हैं जिनमे पहाड़ी इलाको में बेहतर सड़क प्रबंधन के कई सुझाव दिए गए हैं लेकिन इन सुझावों में से अधिकतर लागू नहीं किये गए हैं. इस समिति ने सुझाव दिया था कि पहाड़ी इलाकों में अतिरिक्त वाहन चलाने, सख्त ट्रैफिक प्रबंधन समेत पुराने और जर्जर हो चुके वाहनों को सड़को पर न चलने देने की बात कही थी. लेकिन इस सुझावों के बाद भी इस पर अमल नहीं किया गया.


अगर आंकड़ों की बात करें तो साल 2014 में 5861 सड़क हादसों में 992 लोग मारे गए थे जबकि 8043 लोग घायल हुए थे. वहीं, साल 2015 में 4638 सड़क हादसों में 668 लोग मारे गए थे जबकि 6076 लोग घायल हुए थे. साल 2016 की बात करे तो 5501 सड़क हादसों में 958 लोग मारे गए थे जबकि 8043 लोग घायल हुए थे. 2017 में 5624 सड़क हादसों में 926 लोग मारे गए और 7419 लोग घायल हुए. 2018 में जम्मू कश्मीर में हुए विभिन्न सड़क हादसों में 928 लोग मारे गए जबकि 7250 लोग घायल हुए.


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