नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने नीट 2017 की परीक्षा ‘रद्द’ करने से आज इंकार करते हुये कहा कि ऐसा करने से मेडिकल और डेन्टल कोर्स में प्रवेश के लिये परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले छह लाख से अधिक अभ्यर्थी प्रभावित होंगे.


नीट के नतीजों को बाधित करना ‘बहुत ही मुश्किल’


न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति एम एम शांतानागौदर की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कहा कि नीट के नतीजों को बाधित करना ‘बहुत ही मुश्किल’ होगा क्योंकि 11.35 लाख अभ्यर्थियों में से 6.11 लाख अभ्यर्थियों ने यह परीक्षा उत्तीर्ण की है और उनकी काउन्सिलिंग की प्रक्रिया जारी है.


पीठ ने कहा, ‘‘हम इस तरह का कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं कर सकते हैं. वैसे भी परीक्षा के नतीजों को बाधित करना बहुत ही मुश्किल है.’’ पीठ ने याचिकाकर्ताओं के वकील की इस दलील को अस्वीकार कर दिया कि आंध्र प्रदेश में परीक्षा में अभ्यर्थियों को प्रश्न पत्रों के तीन सेट दिये गये थे. याचिकाकर्ताओं के वकील का कहना था कि ऐसी स्थिति में नीट-2017 की परीक्षा रद्द करके नयी परीक्षा आयोजित करानी होगी.


करीब 1.48 लाख अभ्यर्थियों ने दी थी क्षेत्रीय भाषाओं में परीक्षा


सीबीएसई की ओर से अतिरिक्त सालिसीटर जनरल मनिन्दर सिंह ने इन दलीलों का विरोध करते हुये कहा कि अंग्रेजी और हिन्दी के अलावा पहली बार यह परीक्षा आठ क्षेत्रीय भाषाओं में आयोजित की गयी थी. उन्होंने कहा कि प्रश्नों में कठिनाई का स्तर सारी भाषाओं के लिये एक जैसा ही था. हम हलफनामें में स्पष्ट कर देंगे कि प्रश्न पत्रों के दो सेट थे. करीब 1.48 लाख अभ्यर्थियों ने क्षेत्रीय भाषाओं में परीक्षा दी थी और ऐसा प्रश्न पत्रों को लीक होने से बचाने के लिये था.


पीठ ने कहा कि वह पहले सीबीएसई के हलफनामे पर गौर करेगी. कोर्ट ने माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को तीन दिन के भीतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया.


12 जून को मद्रास हाई कोर्ट के आदेश पर लगा दी थी रोक


सुनवाई के अंतिम क्षणों में याचिकाकर्ताओं के वकील ने शीर्ष कोर्ट के 12 जून के आदेश का हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि परिणाम की घोषणा और प्रवेश उसके समक्ष लंबित मामले में निर्णय के दायरे में होगा. कोर्ट ने 12 जून को मद्रास हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी थी जिसने सीबीएसई को इस परीक्षा के नतीजों की घोषणा करने से रोक दिया था. सीबीएसई ने इस परीक्षा के नतीजों की घोषणा 23 जून को की थी.


हालांकि पीठ ने कहा, ‘‘आदेश है ही. हम इसे हटाने नहीं जा रहे हैं. हम आज कोई भी आदेश पारित नहीं करेंगे.’’ पीठ अब इस मामले में 31 जुलाई को आगे सुनवाई करेगी.