NEET Exemption Bill: तमिलनाडु विधानसभा ने ‘नीट विरोधी बिल’ फिर से किया पारित, जानें क्या है यह
Tamil Nadu News: कुछ दिनों पहले तमिलनाडु के राज्यपाल ने बीते सितंबर में पारित किए गए बिल को वापस कर दिया था, जिसके बाद स्टालिन सरकार ने दोबारा इसे पास किया है.
NEET Bill Controversy: तमिलनाडु में ‘नीट विरोधी विधेयक’ (NEET Exemption Bill) को लेकर इन दिनों हंगामा चल रहा है. पिछले दिनों राज्यपाल आरएन रवि (RN Ravi) ने कुछ दिन पहले नीट बिल को लौटा दिया था, जो बीते सितंबर में पारित किया गया था. इसके बाद राज्य की एमके स्टालिन (MK Stalin) ने दोबारा इसे पास करने का फैसला लिया था. तमिलनाडु विधानसभा ने यह बिल मंगलवार को फिर से पारित कर दिया. प्रस्ताव को पारित करते समय मेज थपथपाई गईं और अध्यक्ष एम अप्पावु ने घोषणा की विधेयक को सर्वसम्मति से पारित किया गया है. मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने विधेयक पारित करने का प्रस्ताव पेश किया था.
इससे पहले विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी (BJP) विधायक दल के नेता नैनार नागेंद्रन के नेतृत्व में बीजेपी ने इस कदम का विरोध करते हुए सदन से वॉकआउट कर दिया. विधेयक पर चर्चा के दौरान सदन में उस समय हंगामा हुआ जब पूर्व सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे अन्नाद्रमुक के नेता सी विजयभास्कर ने कहा कि नीट की शुरुआत 2010 में यूपीए सरकार में हुई थी, तो कांग्रेस विधायकों ने इसका विरोध किया. विपक्ष के नेता के पलानीस्वामी ने कहा कि उनके पार्टी सहयोगी केवल सच्चाई बता रहे हैं.
मुख्यमंत्री ने पिछले सप्ताह विधेयक की वापसी पर राज्यपाल रवि से प्राप्त संवाद का जिक्र करते हुए कहा कि उनके द्वारा जो कारण बताए गए, वे सही नहीं थे. स्टालिन ने कहा कि रवि ने नीट पर न्यायमूर्ति एके राजन पैनल की सिफारिशों का हवाला देते हुए कहा कि वे ‘‘अनुमान’’ पर आधारित थीं, लेकिन वे आंकड़ों और एक लाख से अधिक लोगों की राय पर आधारित थीं. उन्होंने योग्यता परीक्षा के खिलाफ अपनी सरकार के रुख को दोहराते हुए कहा, ‘‘नीट एक शिक्षा प्रणाली नहीं है, बल्कि चिकित्सा उम्मीदवारों को प्रशिक्षित करने की एक प्रणाली है.’’
क्या है नीट विरोधी बिल?
तमिलनाडु विधानसभा ने 13 सितंबर 2021 को एक बिल पारित किया था, जिसमें राज्य के छात्रों को मेडिकल कोर्सेस में प्रवेश के लिए नीट (NEET) परीक्षा से छूट देने की बात कही गई थी. इस बिल को राज्यपाल के पास भेजा गया था, लेकिन उन्होंने इसे राष्ट्रपति को नहीं भेजा और वापस लौटा दिया. इसके बाद राज्य सरकार ने एक बार फिर यह बिल पास किया है. अगर राज्यपाल ने इसे राष्ट्रपति को भेजा और इस पर उन्होंने मुहर लगा दी, तो राज्य के छात्रों को मेडिकल कोर्सेस में प्रवेश के लिए नीट परीक्षा से छूट मिल जाएगी.
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