NEET PG Counselling: मेडिकल कॉलेजों के पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स में दाखिले के लिए काउंसिलिंग न हो पाने की वजह है, नई आरक्षण नीति को कानूनी चुनौती. सरकार ने इस साल से मेडिकल पीजी में 27 प्रतिशत ओबीसी और 10 प्रतिशत आर्थिक रूप से कमज़ोर तबके के आरक्षण का फैसला लिया है. इस नीति को अलग-अलग याचिकाओं के ज़रिए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. कोर्ट ने खास तौर पर निर्धन वर्ग की पहचान के लिए रखी गई सालाना 8 लाख रुपए आय की सीमा पर सवाल उठाया है. इसके बाद सरकार ने इसमें बदलाव की बात कही है.


सुप्रीम कोर्ट में यश टेकवानी, नील औरेलियो नून्स, मधुरा कवीश्वर समेत कई डॉक्टरों ने 29 जुलाई को आए केंद्र सरकार और मेडिकल काउंसलिंग कमिटी की अधिसूचना को चुनौती दी है. इसी अधिसूचना में ओबीसी के लिए 27 और EWS के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गई थी.


याचिकाकर्ताओं का कहना है कि बिना किसी उचित आधार के यह आरक्षण लागू किया जा रहा है. गरीबी के निर्धारण के लिए 8 लाख रुपए सालाना आमदनी की सीमा का भी याचिकाकर्ताओं ने विरोध किया है. उनका कहना है कि बिना किसी सोच-विचार के सरकार ने EWS श्रेणी के लिए पात्रता वही रख दी जो OBC के क्रीमी लेयर की सीमा है.
 
25 नवंबर को हुई सुनवाई में जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, सूर्यकांत और विक्रम नाथ की बेंच ने सरकार को EWS के निर्धारण के लिए 8 लाख रुपए आमदनी की सीमा रखने के लिए आड़े-हाथों लिया था. जजों का मानना था कि यह सीमा बहुत अधिक है. देश के अलग-अलग हिस्सों में लोगों का जीवन स्तर अलग है. पूरे देश के लिए एक ही आमदनी को आरक्षण की पात्रता का आधार बना देना अनुचित है. कोर्ट के तीखे सवालों के बाद केंद्र के लिए पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने यह माना था कि EWS पात्रता तय करने की नीति में बदलाव ज़रूरी है.
 
सॉलिसीटर जनरल ने कहा था कि सामान्य वर्ग के गरीबों को आरक्षण का फैसला संविधान के 103वें संशोधन के मुताबिक है. उन्होंने बताया था कि सरकार ने पूरे देश के लिए 8 लाख रुपए से कम की आमदनी को आरक्षण का आधार बनाने की नीति पर पुनर्विचार का फैसला लिया है. लेकिन इसमें करीब 4 हफ्ते का समय लगेगा. मेहता ने जजों को यह आश्वासन भी दिया था कि NEET PG की काउंसलिंग तब तक नहीं होगी, जब तक कोर्ट निर्धन वर्ग के आरक्षण के लिए बदली गई नीति से सहमत नहीं हो जाता. कोर्ट ने उनके अनुरोध को स्वीकार करते हुए सुनवाई 6 जनवरी के लिए टाल दी थी.
 
इस बीच अपने ऊपर बढ़े काम के बोझ से परेशान रेज़िडेंट डॉक्टरों ने हड़ताल शुरू कर दी है. उनका कहना है कि नए पीजी छात्रों का दाखिला न होना उनकी समस्या की वजह है. इससे केंद्र और राज्य सरकारों पर काफी दबाव है. हालांकि, अभी तक किसी ने भी काउंसलिंग जल्द शुरू करवाने के लिए कोर्ट का दरवाजा नहीं खटखटाया है.


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