Resident Doctor's Protest: दिल्ली में रेजिडेंट डॉक्टरों के साथ हुई पुलिसिया कार्रवाई के बाद हड़ताल अभी भी जारी है. हालांकि मंगलवार को रेजिडेंट डॉक्टरों ने स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया से बैठक के बाद कहा है कि उनकी स्वास्थ्य मंत्री के साथ मुलाकात सकारात्मक रही है लेकिन हड़ताल खत्म करने को लेकर अंतिम फैसला अलग-अलग रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन से बातचीत करने के बाद ही लिया जाएगा.


सोमवार देर शाम डॉक्टरों के विरोध-प्रदर्शन के दौरान उनको हिरासत में लिए जाने और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज किए जाने का विवाद मंगलवार को दिनभर चलता रहा. रेजिडेंट डॉक्टरों ने पुलिसिया कार्रवाई का विरोध करते हुए हड़ताल का ऐलान किया तो उसके चलते दिल्ली में स्वास्थ्य सुविधाएं पूरी तरह से ठप हो गईं और अस्पतालों की ओपीडी पर ताला लग गया.


स्वास्थ्य मंत्री के साथ बैठक में क्या हुआ ?


मंगलवार दोपहर हड़ताली डॉक्टरों और स्वास्थ्य मंत्री के बीच करीब 1 घंटे तक मुलाकात भी हुई. सामने आई जानकारी के मुताबिक इस बैठक के दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने डॉक्टरों के साथ हुई पुलिसिया कार्रवाई की घटना पर खेद भी व्यक्त किया और भरोसा दिया कि वह डॉक्टरों के खिलाफ दर्ज एफआईआर पर कोई कार्रवाई नहीं होने देंगे. इसके साथ ही मंत्रालय द्वारा बनाई तीन सदस्यों की कमेटी 6 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई से पहले अपनी रिपोर्ट भी तैयार करेगी और सुप्रीम कोर्ट ने जमा करेगी.


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मीटिंग के बाद FORDA (फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन) के प्रेसिडेंट डॉक्टर मनीष ने  बताया कि स्वास्थ्य मंत्री के सामने उन्होंने अपनी दो मुख्य मांगें रखी हैं, जिसमें सबसे पहली मांग नीट पीजी काउंसलिंग की डेट को लेकर थी, जिस वजह से लगातार प्रदर्शन भी चल रहा है. उन्होंने अपनी मांग में साफ तौर से कहा है कि नीट पीजी काउंसलिंग की डेट जल्द से जल्द आनी चाहिए.


 डॉक्टर्स की तरफ से दूसरी मांग सोमवार देर शाम रेजिडेंट डॉक्टर्स को प्रदर्शन स्थल से हटाने की पुलिस कार्रवाई पर माफी और एफआईआर वापस लेने को लेकर थी. डॉ मनीष के मुताबिक इस मामले में स्वास्थ्य मंत्री की तरफ से उन्हें भरोसा दिया गया है. लेकिन स्वास्थ्य मंत्री के भरोसे के बाद भी फिलहाल अभी स्ट्राइक खत्म नहीं कर रहे हैं. इस पर फैसला सभी रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन मिल कर लेंगे.


कैसे बढ़ा विवाद ?


दरअसल नीट-पीजी काउंसलिग जल्द करवाने की मांग को लेकर दिल्ली में पिछले 12 दिनों से डॉक्टरों की हड़ताल जारी है. काउंसलिंग का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. लिहाजा डॉक्टरों ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट का घेराव करने के लिए पैदल मार्च निकाला. लेकिन पुलिस ने प्रदर्शन शुरू होते ही डॉक्टरों को रोक लिया. 


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इस दौरान पुलिस के साथ डॉक्टरों की झड़प और हाथापाई भी हुई. डॉक्टरों की तरफ से आरोप लगाया गया कि करीब 2500 रेजिडेंट डॉक्टरों को पुलिस ने हिरासत में लिया हालांकि सोमवार देर शाम उनको छोड़ भी दिया गया.


पुलिस की इस कार्रवाई से नाराज रेजिडेंट डॉक्टरों ने सोमवार रात सफदरगंज अस्पताल से मार्च निकाला और सरोजिनी नगर थाने का घेराव भी किया. इस दौरान डॉक्टरों ने जमकर नारेबाजी की. रेजिडेंट डॉक्टरों का आरोप है कि पुलिस ने डॉक्टरों के साथ धक्का-मुक्की और मारपीट की. रेजिडेंट डॉक्टरों ने दिल्ली के पुलिस कमिश्नर को पुलिस के बर्ताव को लेकर चिट्ठी भी लिखी. इस चिट्ठी में पुलिस कार्रवाई की निंदा करते हुए सवाल भी पूछा है कि आखिरकार शांतिपूर्ण मार्च कर रहे रेजिडेंट डॉक्टरों के साथ पुलिस ने ऐसा बर्ताव क्यों किया.


डॉक्टरों की हड़ताल क्यों?



  • NEET-PG परीक्षा में 9 महीने की देरी हुई

  • जनवरी की जगह सितंबर में हुई परीक्षा

  • रिजल्ट के बावजूद अब तक काउंसलिंग नहीं

  • अस्पतालों को नए डॉक्टर्स नहीं मिल रहे

  • मौजूदा डॉक्टरों पर काम का ज्यादा बोझ

  • अस्पतालों में जूनियर डॉक्टरों की भारी कमी

  • 36 घंटे तक लगातार ड्यूटी कर रहे डॉक्टर


रेजिडेंट डॉक्टरों की क्या है मांग ?



  • काउंसलिंग के लिए सरकार तुरंत कदम उठाए

  • SC के पाले में गेंद ना डाले सरकार

  • काउंसलिंग की तारीखों का एलान हो

  • फास्ट ट्रैक के जरिए SC में सुनवाई हो

  • मौजूदा डॉक्टरों पर काम का बोझ कम हो

  • 1 लाख जूनियर डॉक्टरों की कमी पूरी हो