NEET UG Paper Leak Case: 'NEET परीक्षा रद्द कर देंगे अगर...', सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के सामने रख दी कौन सी बड़ी शर्त?
NEET UG Paper Leak Case: सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के वकील से कहा कि अगर आप ये साबित कर देते हैं कि परीक्षा में गड़बड़ी और पेपर लीक बड़े पैमाने पर हुआ, तो हम दोबारा परीक्षा का आदेश दे देंगे.
सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को NEET परीक्षा में गड़बड़ी से जुड़ीं याचिकाओं पर सुनवाई हुई. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के वकील से कहा कि अगर वे ये साबित करें कि परीक्षा में गड़बड़ी और लीक बड़े पैमाने पर हुई है तो अदालत नीट-यूजी 2024 को नए सिरे से कराने का आदेश दे सकती है.
चीफ जस्टिस (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने विवादों में घिरी नीट-यूजी 2024 से जुड़ी याचिकाओं पर कहा कि हम आज मामले पर सुनवाई करेंगे. लाखों युवा छात्र इसका इंतजार कर रहे हैं, हमें सुनवाई करने और निर्णय लेने दीजिए. बेंच ने कहा, परीक्षा दोबारा कराने के लिए यह ठोस आधार होना चहिए कि पूरी परीक्षा की शुचिता पर असर पड़ा है.
सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई रिपोर्ट का किया जिक्र
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने कहा, हमने एक और स्टेटस रिपोर्ट दायर की है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हमने वो रिपोर्ट भी देखी है. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि हमें सीबीआई ने भी स्टेटस रिपोर्ट सौंपी है. हम इसे सार्वजनिक नहीं कर सकते, क्योंकि इससे सीबीआई की जांच पर असर पड़ सकता है.
40 से ज्यादा याचिकाएं दाखिल
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट इस मामले में 40 से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है. याचिकाकर्ताओं ने नीट-यूजी 2024 परीक्षा में कथित अनियमितताओं की जांच करने, परीक्षा रद्द करने और नए सिरे से परीक्षा कराने की मांग की है. इनमें राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) की याचिका भी शामिल है, जिसमें उसने परीक्षा में कथित अनियमितताओं को लेकर विभिन्न हाईकोर्ट में उसके खिलाफ लंबित मामलों को सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित करने की अपील की है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 11 जुलाई को नीट-यूजी 2024 से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई 18 जुलाई तक टाल दी थी.
पांच मई को 23.33 लाख से अधिक छात्रों ने 571 शहरों के 4,750 केंद्रों पर नीट-यूजी परीक्षा दी थी. इन शहरों में 14 विदेशी शहर भी शामिल थे. केंद्र और एनटीए ने पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने हलफनामों में कहा था कि बड़े पैमाने पर गोपनीयता के उल्लंघन के किसी भी सबूत के अभाव में परीक्षा को रद्द करना प्रतिकूल होगा और यह लाखों ईमानदार उम्मीदवारों को गंभीर रूप से खतरे में डालेगा.